Page 333 - ईद (ईद-उल-फितर
ईद (ईद-उल-फितर)
भूमिका- जिस तरह होली हिन्दुओं का और क्रिसमस ईसाइयों की हँसी-खुशी व प्रसन्नता का
त्योहार है ठीक उसी तरह मुसलमानों की प्रसन्नता और उल्लास का त्योहार है 'ईद'। यह त्योहार सम्पूर्ण इस्लामी जगत् का
सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। हर मुसलमान इस त्योहार को नियम एवं उल्लास के
साथ मनाते है।
अन्तर्कथा- 'ईद'
त्योहार का दूसरा
नाम 'ईद-उल-फितर' है। 'ईद'
का अर्थ 'फिर से'
और 'फितर' का अर्थ खाना-पीना होता है। इस तरह ईद का
अर्थ 'फिर से खाना-पीना' होता है। मुसलमानों का एक महीना रमजान का होता है। रमजान के महीने में इस्लाम
धर्म के प्रवर्तक मुहम्मद साहब ने कठोर साधन की थी और इसी महीने में उन्हें कुरान
लिखने की प्ररेणा मिली थीं, अतः ईद कुरान की वर्षगाँठ के रूप में भी
मनायी जाती है। इस महीने में मुसलमान भाई रोजा रखते हैं। इस महीने में वे लोग केवल
रात में खाते हैं। रमजान का महीना पूरा होने पर जिस दिन चाँद दिखता है उसके अगले
दिन ईद मनायी जाती है। इस दिन सभी मुसलमान भाई मीठी सेवई खाते और दूसरों को खिलाते
हैं। इसलिए इस त्योहार को 'मीठी ईद'
भी कहते हैं। इस
दिन से सभी रोजा रखनेवाले दिन में भी खाना-पीना शुरू कर देते हैं। यही ईद की
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है।
मनाने
की तैयारी- ईद की प्रतीक्षा
बड़ी ही उत्कंठा से की जाती है।
सभी मुसलमान भाई
इस अवसर पर नये कपड़े सिलवाते है। ईद के दिन सभी सुबह उठकर, स्नान करके तैयार होकर ईदगाह की ओर चल देते हैं। ईदगाह में सामूहिक नमाज अदा
की जाती है। सभी लोग बूढ़े बच्चे मिलकर खुदा की इबादत करते हैं। नमाज समाप्त होने
पर सभी एक-दूसरे से गले मिलते हैं और ईद का मुबारकबाद देते है। सारे भेदभाव भुलाकर
लोग गले-गले मिलते हैं।
उपसंहार
- ईद हमें प्रेम और
भाईचारे का सन्देश देती है। यह हँसी-खुशी और प्रसन्नता का त्योहार है। इस अवसर पर
हिन्दू भी अपने मुसलमान भाइयों को ईद का मुबारकबाद देते हैं, और मुसलमान अपने हिन्दू भाइयों को मीठी सेवइयाँ खिलाते हैं। इस तरह, यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्त्व का है,
वरन् यह सामाजिक
महत्त्व का भी है। यह त्योहार सम्पूर्ण मुस्लिम सम्प्रदाय में नवजीवन का संचार
करता है। यह त्योहार कंटकाकीर्ण जीवन में समता,
सरसता एवं समरसता
का समावेश कर देता है। ईद हमें संकीर्ण धार्मिक भावना से ऊपर उठने की सीख देता है।