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समय की महत्ता
भूमिका
: जो मनुष्य समय को
ध्यान में रखकर अथवा पहचानकर अपना काम करता है तथा भविष्य का प्रारूप तैयार करता
है, वही मनुष्य जीवन में सफल होता है। हर
व्यक्ति समय की महत्ता को न उचित मूल्य दे पाता है और न ही समय को परख पाता है।
व्यक्ति के समय की महत्ता को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
समय
जीवन है: फ्रैंकलिन का कथन
है 'तुम्हें अपने जीवन से प्रेम है, तो समय को व्यर्थ मत गँवाओं क्योंकि जीवन इसी से बना है।' समय को नष्ट करना जीवन को नष्ट करना है। समय ही जीवन है। ईश्वर एक बार एक ही
क्षण देता है और दूसरा क्षण देने से पहले उसको छीन लेता है।
समय का
सदुपयोग आवश्यक- समय के सदुपयोग का अर्थ है उचित अवसर पर उचित कार्य पूरा कर लेना। ज्यादातर लोग आज का काम, कल पर, कल का काम परसों पर टालते रहते हैं, वे एक प्रकार से अपने लिए जंजाल खड़ा करते चले जाते हैं। मरण को टालते-टालते
एक दिन सचमुच मरण आ जाता है। जो व्यक्ति उपर्युक्त समय पर कार्य नहीं करता, वह समय को नष्ट करता है। एक दिन ऐसा आता है,
जबकि समय उसको
नष्ट कर देता है। जो छात्र पढ़ने के समय नहीं पढ़ते,
वे परिणाम आने पर
रोते हैं।
समय की
अगवानी आवश्यक- समय रुकता नहीं है। जिसे उसका उपयोग उठाना है, उसे तैयार होकर उसके आने की अग्रिम
प्रतीक्षा करनी चाहिए। जो समय के निकल जाने पर उसके पीछे दौड़ते हैं, वे जिंदगी से सदा घिसटते-पिटते रहते हैं। समय सम्मान माँगता है। इसलिए कबीर ने
कहा है-
काल करै सो आज कर,
आज करै सो अब ।
पल में परलय होएगा, बहुरि करेगा कब ॥
उचित
समय पर उचित कार्य- जो समय का सम्मान करना जानते हैं, वह अपनी शक्ति को कई गुना बढ़ा लेते हैं। यदि सभी गाड़ियाँ अपने निश्चित समय
से चलने लगें तो देश में कितनी कार्यकुशलता बढ़ जाएगी। यदि कार्यालय के कार्य ठीक
समय पर संपन्न हो जाएँ, कर्मचारी समय के पाबंद हो तो सब कार्य
सुविधा से हो सकेंगे। यदि रोगी को ठीक समय पर दवाई न मिले तो उसकी मौत भी हो सकती
हैं। अतः हमें समय की गंभीरता को समझना चाहिए ।