Page 350 - बढ़ती महँगाई

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बढ़ती महँगाई

भूमिका- वर्तमान समय में निम्न मध्य वर्ग महँगाई की समस्या से त्रस्त है। यह महँगाई रूकने का नाम ही नहीं लेती, यह तो सुरसा की तरह बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का महँगाई पर कोई नियंत्रण रह नहीं गया है।

महँगाई की वर्तमान स्थिति- महँगाई बढ़ने के कई कारण हैं। उत्पादन में कमी तथा माँग में वृद्धि होना महँगाई का मुख्य कारण है। माँग और पूर्ति के असंतुलित होते ही महँगाई को अपने पाँव फैलाने का अवसर मिल जाता है। कभी-कभी सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि जैसे प्राकृतिक प्रकोप भी उत्पादन को प्रभावित करते हैं। जमाखोरी भी महँगाई बढ़ाने का प्रमुख कारण है।

जमाखोरी से शुरू होती है, कालाबाजारी। दोषपूर्ण वितरण प्रणाली, अंधाधुंध मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति तथा सरकारी अंकुश का अप्रभावी होना भी महँगाई के कारण हैं। ये कालाबाजारी पहले वस्तुओं का नकली अभाव उत्पन्न करते हैं और फिर जब उन वस्तुओं की माँग बढ़ जाती है तो फिर महँगे दामों पर उसे बेचते हैं।

महंगाई का जन-जीवन पर प्रभाव- रोटी, कपड़ा और मकान प्रत्येक व्यक्ति की मौलिक आवश्यकताएँ है। वह इन्हें पाने के लिए रात-दिन प्रयास करता रहता है। एक सामान्य व्यक्ति केवल इतना चाहता है कि उसे जीवनोपयोगी वस्तुएँ आसानी से और उचित दर पर उपलब्ध होती रहे।

उपसंहार- कीमतों में वृद्धि एक अभिशाप है। देश को हर हालत में इससे मुक्त करना अनिवार्य है। इसके लिए उत्पादन में वृद्धि करना चाहिए। उत्पादन कार्य हर हालत में चलता रहे यही सब लोगों का प्रयास होना चाहिए। व्यापारियों को कालाबाजार का धंधा बंद करना चाहिए। इस कार्य में हर नागरिक का सहयोग अपेक्षित है। फिर, सभी क्षेत्रों में फैले भ्रष्टाचार एवं भाई-भतीजावाद के विरुद्ध जेहाद बोलना अनिवार्य है।