Page 353 - दहेज प्रथा : एक अभिशाप

 Contact for Notes , Objective , Subjective Questions & Answers of any Subject - किसी भी विषय के नोट्स, वस्तुनिष्ठ, दीर्घ प्रश्न व उत्तर के लिए संपर्क करें - ₹35/Subject

दहेज प्रथा : एक अभिशाप

भूमिका- दहेज प्रथा भारतीय समाज के लिए अभिशाप है।हमारी सामाजिक संरचना इससे बुरी तरह प्रभावित हुई है। यह प्रथा नारी जीवन की अस्मिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। इस प्रथा के चलते नारी जीवन त्रस्त है। न जाने कितनी कन्याएँ इसकी बलिवेदी पर जल चुकी हैं।वर्तमान काल में इसकी विडम्बना - दुर्भाग्य से दहेज की जबरदस्ती माँग की जाती है। दूल्हें के भाव लगते हैं। इस बुराई की हद यहाँ तक बढ़ गई हैं कि दुल्हा जितना शिक्षित है, समझदार है, उसका भाव उतना ही तेज है। आज डॉक्टर, इंजीनियर का भाव आसमान छू रहा है। यही सबसे बड़ी बिडम्बना है।
दहेज प्रथा के कुपरिणाम- दहेज प्रथा के दुष्परिणाम विभिन्न हैं। कन्या के पिता को लाखों का दहेज देने के लिए घूस, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, काला-बाजार आदि का सहारा लेना पड़ता है या उसकी कन्याएँ अयोग्य वरों के मत्थे मढ़ दी जाती है। हम रोज समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि अमुक शहर में कोई युवती रेल के नीचे कट मरी, किसी बहू को ससुराल वालों ने जलाकर मार डाला, किसी ने छत से कूदकर आत्महत्या कर ली, ये सब घिनौने परिणाम दहेज रूपी दैत्य के ही है।
इसे रोकने के कानूनी प्रावधान- सरकार ने 'दहेज निषेध' अधिनियम के अंतर्गत दहेज के दोषी को कड़ा दण्ड देने का प्रावधान रखा है। परन्तु वास्तव में आवश्यकता है- जन जागृति की।
उपसंहार- दहेज अपनी शक्ति के अनुसार दिया जाना चाहिए, धाक जमाने के लिए नहीं। इसे माँगा जाना ठीक नहीं।