Page 354 - गणतंत्र दिवस / 26 जनवरी

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गणतंत्र दिवस / 26 जनवरी

भूमिका- 26 जनवरी, 1950 को हमारा अपना संविधान देश में लागू हुआ और हम गणतंत्र हुए। 26 जनवरी, 1929 ई० को काँग्रेस के लाहौर अधिवेशन में रावी नदी के तट पर प० जवाहर लाल नेहरू ने तिरंगा झण्डा फहराया और 'पूर्ण स्वराज्य' की माँग की। इसी कारण, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में चुना गया। यों तो हमारा संविधान 26 नवम्बर, 1949 में ही बनकर तैयार हुआ, लेकिन, इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। तब से हम इसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है।
राष्ट्रीय पर्व- देश की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय पर्व के लिए विशेष समारोह का आयोजन किया जाता है। जिसकी भव्यता देखते ही बनती है। समूचे देश के विभिन्न भागों से असंख्य व्यक्ति इस समारोह में सम्मिलित होने तथा इसकी शोभा देखने के लिए आते हैं।
यह दिन समूचे भारतवर्ष में बड़े उत्साह तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। समूचे देश में अनेकानेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। प्रदेशों की सरकारें सरकारी स्तर पर अपनी-अपनी राजधानियों में तथा जिला स्तर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का तथा अन्य अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करती है।
गणतंत्रता दिवस- गणतंत्र दिवस अर्थात् 26 जनवरी, 1950 भारत का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था।
इस समारोह का विशेष आकर्षण 'गणतन्त्र दिवस परेड' - इस परेड में भारत के राष्ट्रपति जवानों की सलामी लेते हैं। थलथेना, जलसेना और वायुसेना के विशिष्ट जवान इसमें भाग लेते हैं। हमारे पास जो भी विशिष्ट अस्त्र-शस्त्र हैं, उनका प्रदर्शन करके हमारी सैन्य-शक्ति को दर्शाया जाता है। परम्परागत रूप में इस अवसर पर प्रत्येक वर्ष किसी अन्य राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष अथवा किसी महत्त्वपूर्ण हस्ती को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
देश के सभी राज्य व्यक्तिगत चित्रमय दृश्य के द्वारा इस समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। इन्हें गाड़ियों पर संगीत एवं नृत्य के साथ राजधानी के मुख्य मार्गों पर घुमाया जाता है। स्कूली बच्चे भी इस परेड में भाग लेते हैं।गणतन्त्र दिवस के इस पावन अवसर पर बहादुरी के ईनामों की घोषणा की जाती है। विशिष्ट नागरिकों के लिए 'पद्म पुरस्कार' एवं वीर जवानों के लिए 'वीरचक्र' की घोषणा सरकार द्वारा की जाती है।
उपसंहार- अतः हमें सतत् ध्यान रखना चाहिए कि इस पवित्र तिथि का उद्देश्य कभी भी धूमिल न होने पावे और हम अपने गणतंत्र की बागडोर वैसे सच्चे प्रतिनिधि को ही सौंपे जिनसे देश का कल्याण हो।