Page 357 - महात्मा गाँधी

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महात्मा गाँधी

प्रस्तावना- सत्य एवं अहिंसा के पुजारी, त्याग एवं सहनशीलता की मूर्ति महात्मा गाँधी विश्व के महान विभूति थे, जिन्हें संसार कभी भीं भूल नहीं सकता। पीड़ितों एवं दलितों के उद्धारक महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई० में गुजरात प्रांत के काठियाबाड़ में पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनके पिता करमचंद गाँधी, पोरबंदर राज्य के प्रधानमंत्री थे और उनकी माता 'पुतली बाई' एक उच्चकोटि की धार्मिक महिला थी।

शिक्षा- राजकोट से मैट्रिक की परीक्षा पास की। गाँधीजी ने लंदन से बैरिस्टरी की परीक्षा पास की। भारत आने पर उन्होंने बंबई में बैरिस्टरी आरंभकी। एक व्यापारी के मुकदमें के संबंध में वे दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ यूरोपियनों द्वारा भारतीयों पर अत्याचार एवं अन्याय को देखकर उनका हृदय काँप उठा । घोर यातनाओं एवं उत्पीड़न के बीच उन्होंने भारतीयों के अधिकार के लिए संघर्ष आरंभ किया जिसका आधार सत्य एवं अहिंसा था। अंतः अफ्रीकी सरकार को झुकना पड़ा।

राष्ट्रीय आन्दोलन में सहभागिता- गाँधी ने देश में राष्ट्रीय आंदोलन की विभिन्न बिखरी धाराओं को समेटकर जन-आंदोलन का रूप प्रदान किया तथा उसे सत्य, अहिंसा एवं सत्याग्रह रूपी शस्त्र से सुसज्जित किया । परिणामतः भारतीय जनमानस में जागृति आयी, अधिकारों के लिए संघर्ष करने की क्षमता उत्पन्न हुई। इस संदर्भ में गाँधीजी ने 1921 ई० में असहयोग आंदोलन, 1930 ई० में सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा 1942 ई० में 'भारत छोड़ो आंदोलन' प्रारंभ किया। अंत में, उन्होंने अपने लक्ष्य की प्राप्ति की और भारत 15 अगस्त, 1947 ई० को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विश्व के मानचित्र पर आया।

निधन- 30 जनवरी, 1948 ई० को जब महात्मा गाँधी दिल्ली में एक प्रार्थना सभा में जा रहे थे, तक एक धर्म-उन्मादी युवक ने गोली मार कर इस महान विभूति की जीवन लीला समाप्त कर दी। 'हे राम' के साथ ज्ञान का यह महान दीपक बुझ गया, जिसको दलित एवं पीड़ित अपना उद्धारक तथा मानव जाति अपना रक्षक समझती थी ।