Page 114 वर्ग 10 वीं जीव विज्ञान नोट्स पाठ - जैव प्रक्रम : पोषण

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पाठ -  जैव प्रक्रम : पोषण
• जैव प्रक्रम क्या है ? 
उत्तर : - वे सारी क्रियाएं जिनके द्वारा जीवों का अनुरक्षण होता है , जैव प्रक्रम कहलाता है । 

• श्वसन किसे कहते है ? 
उत्तर : - पोषण द्वारा प्राप्त जटिल खाद्य पदार्थों का सरलीकरण विभिन्न चरणों में उपचयन एवं अपचयन अभिक्रिया द्वारा होता है । इस प्रक्रम को श्वसन कहते है । 

• पोषण किसे कहते है ? 
उत्तर : -वह विधि जिससे जीव पोषक तत्व को ग्रहण कर उनका उपयोग करते है , उसको पोषण कहते है ।

# पोषण की विधि  
जीवों में पोषण मुख्यतः द विधिओं द्वारा होता है _
(i) स्वपोषण { Autotrophic nutrition }
(ii) परपोषण { Heterotrophic nutrition }

(i) स्वपोषण:- पोषण का वह प्रक्रिया जिसके द्वारा जीव अपने भोजन के लिए दूसरे पर निर्भर न रहके स्वयं बनाते है , उसे  स्वपोषण कहते है ।  
जैसे : पेड़ - पौधे 
नोट :- जिस जीव में स्वपोषण पाया जाता है उसे स्वपोषी( autotrophs ) कहते है । 

(ii) परपोषण:- पोषण का वह प्रक्रिया जिसके द्वारा जीव अपने भोजन के लिए दूसरे पर निर्भर रहते   है , उसे  परपोषण कहते है । 
जैसे :- मनुष्य , जनवर 
नोट :- जिस जीव में परपोषण पाया जाता है उसे पेरपोषी ( heterotrophs ) कहते है । 

# परपोषण के प्रकार 
परपोषण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है । 

(i) मृतजीवी पोषण { Saprophytic nutrition }
(ii) परजीवी पोषण { Parasitic nutrition }
(iii) प्राणिसम पोषण { Holozoic nutrition }

(i) मृतजीवी पोषण:- पोषण का वह प्रक्रिया जिसके द्वारा जीव अपने भोजन को मृत जीव और पौधे के शरीर से घुलित कार्बोनिक पदार्थों के रूप मे अवशोषित करते है , उसे मृतजीवी पोषण कहते है । 
जैसे :- कवक , बैक्टीरिया , प्रोटोज़ोआ 
जो जीव मृतजीवी पोषण द्वारा भोजन प्राप्त करते है उन्हे मृतजीवी ( saprophytes ) कहते है 

(ii) परजीवी पोषण:- पोषण का वह प्रक्रिया जिसके द्वारा जीव अपने भोजन को दूसरे प्राणी के संपर्क में स्थाई या अस्थाई रूप से रहकर प्राप्त करते  है , उसे परजीवी पोषण कहते है । 
जैसे :- कवक , जीवाणु , कुछ पौधे जैसे अमरबेल , कुछ जन्तु जैसे गोलकृमी , हुकवर्म , टेपवर्म , ऐन्टअमीबा , हिस्टोलिटिक , मलेरिया 
जो जीव परजीवी पोषण द्वारा भोजन प्राप्त करते है उन्हे परजीवी ( parasite ) कहते है। 
जिस जीव के शरीर से परजीवी पोषण अपना भोजन प्राप्त करते है उसे पोषी ( host ) कहते है । 

(iii) प्राणिसम पोषण:- पोषण का वह प्रक्रिया जिसके द्वारा जीव अपने भोजन को ठोस या तरल के रूप में जंतुओं के भोजन ग्रहण करने के तरीका द्वारा करते है , उसे प्राणिसम पोषण कहते है । 
जैसे :- अमीबा , मेढक , मनुष्य 
जो जीव प्राणिसम पोषण द्वारा भोजन प्राप्त करते है उन्हे प्राणिसमभोजी  (  ) कहते है 

• प्रकाशसंश्लेषण क्या है ? 
उत्तर :-  जिस प्रक्रिया द्वारा पौधे अपना भोजन तैयार करते है उस प्रक्रिया को प्रकाशसंश्लेषण कहते है । 

सम्पूर्ण प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया के ;लिए रासायनिक समीकरण 
6CO2 + 12H2O ⟶ C6H12O6 + 6O2 + 6H2O

• प्रकाशसंश्लेषण के लिए कोन से कच्चे सामग्री की आवश्यकता होती है ? 
उत्तर :- प्रकाशसंश्लेषण के लिए चार पदार्थों की आवश्यकता होती है 
पर्णहरित / क्लोरोफील , कार्बन डाइआक्साइड , जल , और सूर्य प्रकाश 

नोट :-
1. प्रकक्षसंश्लेषण की प्रक्रिया क्लोरोप्लास्ट में होती है । 
2. पत्तियों के पैलिसेड ( palisade ) तथा स्पंजी पैरेनकाईम ( spongy parenchyma ) में अनेक क्लोरोप्लास्ट भरे रहते है । 
3. क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल वर्णक पाए जाते है । 
4. पत्तियों को प्रकाशसंश्लेषी अंग कहते है । 
5. हरितलवकों को  प्रकाशसंश्लेषी अंगक कहते है ।

* * 
 अमीबा :- अमीबा एक सरल प्राणिसमपोषी जीव है । मृदुजलीय , एककोशीए तथा अनिश्चित आकार का प्राणी है । इसका आकार कूटपादों के बनने और बिगड़ने के कारण बदलता राहत है । इसके शरीर में पोषण के लीये कोई विशेष रचना नहीं होती है । यह अपने कूटपादों के सहायता से भोजन ग्रहण करता है । 
  अमीबा का भोजन शैवाल के छोटे - छोटे टुकरे , बकटीरिया , डायटम , अन्य छोटे एककोशिक जीव तथा मृत कार्बोनिक पदार्थ के छोटे - छोटे टुकरे हैं ।

# अमीबा में पोषण की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर :- 
 
अमीबा होलोजोइक पोषण को दर्शाता है जिसमें निम्नलिखित चरण शामिल हैं: 
 अंतर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण, स्वांगीकरण  और उत्सर्जन।

अंतर्ग्रहण: - अमीबा "कूटपाद / पादाभ"  कहे जाने वाले उँगलियों की तरह प्रक्षेपण बनाता है। अमीबा खाद्य कणों को "कूटपाद / पादाभ" की मदद से फँसाता है।  उसके बाद अमीबा भोजन के कण को ​​पानी के साथ ग्रहण कर लेता है।

पाचन:- अमीबा भोजन के कण के अंतर्ग्रहण के बाद भोजन का रसधानी बनाता है।  पाचन के लिए भोजन रिक्तिका में एंजाइम निकलते हैं।

अवशोषण:- पाचन के बाद पोषक तत्व प्रसरण के माध्यम से कोशिका द्रव्य में प्रवेश करते हैं।

स्वांगीकरण:- कोशिका द्वारा विभिन्न प्रयोजनों के लिए पोषक तत्वों का उपयोग किया जाता है।

उत्सर्जन:- खाद्य रसधानी कोशिका झिल्ली के पास जाकर अपनी सामग्री को कोशका के बाहर खाली कर देती है। इसके परिणामस्वरूप कोशिका से अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकल जाते हैं
• आहारनाल ( alimentary canal ) क्या है ? 
उत्तर :-  मनुष्य तथा सभी उच्च श्रेणी के जंतुओं में भोजन के पाचन के लीए विशेष अंग होते है जो आहारनाल कहलाते हैं ।
** *
#  मनुष्य का आहारनाल   
मनुष्य का आहारनाल कुंडलित रचना है जिसकी लंबाई करीब 8 से 10 मीटर तक की होती है । यह मुखगुहा से शुरू होकर मलद्वार तक फैली होती है । 
# मनुष्य के मुखगुहा की लारग्रन्थियाँ -
मनुष्य के मुखगुहा में तीन जोड़ी लारग्रन्थियां  पाई जाती है । 
1. पैरोटिड ग्रन्थि 
2. सबमैन्डीबुलर 
लारग्रन्थि
3. सबलिन्गुअल लारग्रन्थि 
ग्रसनी क्या है ? 
उत्तर :- मुखगुहा का पिछला भाग ग्रसनी कहलाता है । 
ग्रसनी मे दो छिद्र होते हैं । 
1. निगलद्वार    2. कंठद्वार 
1. निगलद्वार:- यह आहार नाल के अगले भाग में खुलता है । 
2. कंठद्वार :- यह श्वसन नली में खुलता है । इसके आगे एक पट्टी जैसी रचना होती है , जो एपिग्लौटिस कहलाता है । मनुष्य जब भोजन करता है तो यह पट्टी कंठद्वार को ढँक लेती है , जिससे भोजन स्वाशनली में नहीं जाता है ।  
 ग्रासनली क्या है ?  
उत्तर :- मुखगुहा से लार से सना हुआ भोजन निगलद्वार के द्वारा ग्रासनली में पहुंचता है । इसमें पाचन की क्रिया नहीं होती है । 
इससे होकर भोजन आमाशय में पहुँचती है । 
• क्रमाकुंचन किसे कहते है ?  
उत्तर :- ग्रासनली की दीवार में तरंग की तरह संकुचन या सिकुड़न और शिथिलन या फैलाओ शुरू होता है जिसे क्रमाकुंचन कहते है । 
• आमाशय क्या है ? 
उत्तर :- यह एक चौड़ी थैली जैसी रचना है जो उदर गुहा के बाई ओर से शुरू होकर अनुप्रस्थ दिशा में फैली होती है । 
आमाशय का अग्रभाग कार्डिएक तथा पिछला भाग पाइलोरिक कहलाता है ।   
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  छोटी आंत क्या है ? 
उत्तर :- छोटी आंत आहारनाल का सबसे लंबा भाग है । इसका आकार बेलनाकार होता है । आहारनाल के इस भाग में पाचन की क्रिया पूर्ण होती है । मनुष में इसकी लंबाई 6 मीटर तथा चौड़ाई 2.5 सेन्टमीटर होती है ।  
# छोटी आंत के तीन भाग होते हैं । 
1. ग्रहनी 
2. जेजूनम 
3. इलियम 
नोट :- 
* ग्रहणी छोटी आंत का पहला भाग है जो आमाशय के पाइलोरिक भाग के ठीक बाद शुरू होता है । यह C के आकार का होता है । 
* जेजूनम छोटी आंत का मध्य भाग होता है । छोटी आंत का अधिकांश भाग इलियम होता है । इस भाग में भोजन का अंतिम रूप से पाचन होता है । पचे हुए भोजन का अवशोषण भी इलियम में ही होता है । 
• यकृत क्या है ?
उत्तर :- यह शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि है । जिसका भर करीब 1.5 kg होता है । 
यकृत कोशिकाओं से पित्त का स्राव होता है । स्रावित पित्त का संचय पित्ताशय नामक एक छोटी थैली जैसी रचना में होती है । 
• पित्त के कार्यों को लिखे । 
उत्तर :- पित्त के निम्नलिखित दो कार्य है । 
1. आमाशय से ग्रहणी में आए अमलिय काइम की अम्लीयता को नष्ट करके क्षारीय बना देता है ताकि अग्न्याशयी रस के एजाईंम उस पर कार्य कर सके । 
2. पित्त के लवणो की सहायता से भोजन के वसा का विखनडन करता है । 
अग्न्याशय क्या है ? 
उत्तर :- आमाशय के ठीक नीचे पीले रंग की एक ग्रन्थि होती है जो अग्न्याशय कहलाती है ।
अग्न्याशयी रस में ट्रिप्सिन , एमाइलेस , लाइपेस , नयूक्लियेस नामक एंजाइम पाए जाते है । 
• चाइल किसे कहते है ?
उत्तर :- भोजन के जटिल , अघूलनशील अणु , सरल घुलनशील अणु में बदल जाते है । इस अवस्था में काइम  और भी तरल हो जाता है , इसी को चाइल कहते है । 
चाइल में पचे हुए भोजन का अवशोषण इलियम के विलाई के द्वारा होता है । 
• बड़ी आंत :- छोटी आंत के अगले भाग बड़ी आंत में खुलती है । 
बड़ी आंत के दो भाग होते हैं । 
1. कोलन 
2. मलाशय / रेक्टम 
1. कोलन : - कोलन तीन भागों में बंटा होता है । 
(A) उपरिगामी कोलन 
(B) अनुप्रस्थ कोलन 
(C) अधोगामी कोलन 
अधोगामी कोलन रेक्टम मे खुलता है , जो अंत में मलद्वार के द्वारा शरीर के बाहर खुलता है । 
• सीकम किसे कहते है ?  
छोटी आंत तथा बड़ी आंत के जोड़ पर एक छोटी नली होती है , जिसे सिकम कहते है । 
•  ऐपेनडिक्स क्या है ? 
सिकम के शीर्ष पर एक अंगुली जैसी रचना होती है , जिसका सिर बंद होता है । यह रचना ऐपेनडिस्क कहलाता है । 
मनुष्य के आहारनाल में ऐपेंडिस्क का कोई कार्य नहीं होता है । 

समाप्त