वर्ग 10 वीं जीव विज्ञान // पाठ - परिवहन

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पाठ - परिवहन

◼ परिवहन क्या है ?

उत्तर :- उपयोगी पदार्थों का शरीर के प्रत्येक कोशिका तक पहुंचाने तथा अनुपयोगी और हानिकारक पदार्थों को कोशिकाओं से निकालकर गंतव्य स्थान तक पहुंचाने की क्रिया को पदार्थ का परिवहन कहते है । 

* मनुष्य का ह्रदय - 

ह्रदय एक अत्यंत कोमल , मांसल रचना है जो वक्षगुहा के मध्य में पसलियों के नीचे तथा दोनों फेफड़ों के बीच होता है । ह्रदय एक केन्द्रीय पंप अंग है जो रक्त पर दबाव बनाकर उसका परिसंचरण पूरे शरीर में करता है ।  

ह्रदय की संरचना -
ह्रदय का आकार तिकोना होता है । इसका चौड़ा भाग आगे की ओर और संकरा भाग पीछे की ओर होता है तथा बाईं ओर झुक रहता है । 

ह्रदय के कार्य - 
ह्रदय शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्त को ग्रहण करता । फिर उस अशुद्ध रक्त को शुद्ध करने के लिए फेफड़ों में भेज देता है तथा पुनः शुद्ध रक्त को फेफड़ों से ग्रहण करके शरीर के विभिन्न भागों में पंप कर देता है जिससे शरीर में रक्त का परिसंचरण होता है । 

नोट :-
1. मनुष्य के ह्रदय में चार वेश्म होते है जो दायाँ अलिंद , बायाँ अलिंद तथा दायाँ निलय , बायाँ निलय कहलाते है । 

2. दायाँ और बायाँ अलिंद ह्रदय के के चौड़े अग्रभाग में होते है । ये दोनों एक विभाजिका द्वारा एक दूसरे से अलग होते है । इस विभाजिका को अंतराअलिंद भित्ति कहते है । 

3. दायाँ और बायाँ निलय ह्रदय के संकरा पश्चभाग में स्थित होता है । 
ये दोनों अंतरानिलय भित्ति  द्वारा अलग होते है । 

4. दोनों अलिंद की दीवारें पतली होती हैं । जबकि निलय की दीवारें इनके अपेक्षा ज्यादा मोटी होती है ।