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कुछ महत्वपूर्ण कथन 1. परमाणु में मूल रूप से तीन तरह के कण पाए जाते है । ये तीन कण प्रोटॉन , इलेक्ट्रान और न्यूट्रॉन हैं । 2. प्रोटॉन और न्यूट्रॉन परमाणु के नाभिक में होतें हो । 3. इलेक्ट्रान परमाणु के नाभिक के चारों ओर कक्षा में घूमता रहता है । 4. प्रोटॉन में धणावेश होता है जबकि इलेक्ट्रान में ॠणावेश होता है । 5. एक पदार्थ से दूसरे पदार्थ में इलेक्ट्रान का स्थानांतरण होता है । |
• आवेश {Charge}क्या है ? उत्तर : आवेश किसी पदार्थ का वह गुण होता है जिसके कारण उसमें विधुतिय तथा चुंबकिय प्रभाव उत्पन्न होता है । * आवेश को C / Q से निरूपित किया जाता है । * आवेश का SI मात्रक कूलाम {coulomb}होता है । * आवेश (Q) = ne होता है । जहां ne = इलेक्ट्रॉनों की संख्या होती है । * 1 इलेक्ट्रान पर 1.6 x 10^-19 coulomb ॠणावेश होता है ।
नोट : किसी पदार्थ में इलेक्ट्रान के प्रवेश करने या निकालने से आवेश की उत्पति होती है ।
आवेश दो प्रकार के होते हैं - 1. धनावेश {Positive charge } : किसी पदार्थ से इलेक्ट्रान के निकलने के कारण जो आवेश उत्पन्न होता होता है , उसे धनावेश कहते है । जैसे : कांच को रेशम से रगड़ने पर कांच में धणावेश और रेशम में ॠणावेश उत्पन्न होता है ।
2. ॠणावेश {Negative charge}: किसी पदार्थ में इलेक्ट्रान के प्रवेश के बाद जो आवेश उत्पन्न होता होता है , उसे ॠणावेश कहते है । जैसे : एबोनाइट को ऊन से रगड़ने पर एबोनाइट में ॠणावेश उत्पन्न होता है । नोट : 1. किसी पदार्थ में इलेक्ट्रान और प्रोटॉन की संख्या बराबर होती है । 2. प्रोटॉन में धणावेश होता है जबकि इलेक्ट्रान में ॠणावेश होता है । 3. किसी पदार्थ में इलेक्ट्रान प्रवेश होने पर उस पदार्थ में ॠणावेश अजाता है तथा इलेक्ट्रान निकलने पर धणावेश अजाता है ।
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• विधुत धारा किसे कहते है ? उत्तर :- किसी चालक में प्रवाहित होनेवाले आवेश के प्रवाह की दर को विधुत धारा कहते है । विधुत धारा को " I " से निरूपित किया जाता है । विधुत धारा का SI मात्रक ऐम्पियर(A) होता है । विधुत धारा को ऐमीटर से मापा जाता है । विधुत धारा (I) = आवेश / समय अर्थात , I = Q / t ⇒ Q = It
• ऐम्पियर किसे कहते है ? उत्तर :- जब किसी चालक से एक सेकंड में एक कूलाम आवेश प्रवाहित होता है तो उस चालक से प्रवाहित धारा एक ऐम्पियर कहलाती है । 1 ऐम्पियर = 1 कूलाम / 1 आवेश
नोट : - 1.कभी-कभी चालक से प्रवाहित होनेवाली धारा का मान बहुत ही कम होता है । ऐसे स्थिति में इसे मिली ऐम्पियर(mA) या माइक्रो ऐम्पियर(μA) में मापा जाता है । 1 मिली ऐम्पियर(mA) = 1/1000 A = 10^-3 A 1 माइक्रो ऐम्पियर(μA) = 1/1000000 A = 10^-6 A
2. कभी-कभी चालक से प्रवाहित होनेवाली धारा का मान बहुत ही अधिक होता है । ऐसे स्थिति में इसे किलो ऐम्पियर(kA) या मेगा ऐम्पियर(MA) में मापा जाता है । 1 किलो ऐम्पियर(kA) = 1000 A = 10^3 A 1 मेगा ऐम्पियर(MA) = 1000000 A = 10^6 A
आंकीक प्रश्न 1. यदि किसी चालक में 2 मिनट तक 3 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है तो उससे कितने कूलाम आवेश प्रवाहित होंगे ? हाल : - t = 2 मिनट = 2 x 60 = 120 सेकंड I = 3 A Q = ? ∵ Q = It ⇒ Q = 3 x 120 = 360 C
• विधुत क्या है ? उत्तर : - विधुत एक प्रकार की ऊर्जा है , जिसको सरलता से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है तथा इसको ऊर्जा के विभिन्न रूपों में परिवर्तित किया जा सकता है ।
• विधुत परिपथ क्या क्या है ? उत्तर :- विधुत परिपथ एक बंद मार्ग है जिसे विधुत धारा प्रवाहित होती है ।
विधुत परिपथ दो प्रकार के होते हैं - 1. बंद विधुत परिपथ 2. खुला विधुत परिपथ
** * • विधुत विभव क्या है ? उत्तर :- इकाई धन आवेश को अनंत से विधुतीय क्षेत्र के किसी एक बिन्दु तक लाने मे किए गए कार्य की मात्रा को उस बिन्दु पर का विधुत विभव कहते है ।
इसे प्रायः " v " से निरूपित किया जाता है । इसका S.I. मात्रक वोल्ट होता है । यह एक अदिश राशि है । V = W / Q नोट :- 1. पृथ्वी के विभव को शून्य माना जाता है । परंतु वास्तव में वह शून्य नहीं होता है । 2. अनंत पर स्थित किसी बिन्दु का विभव शून्य होता है । इसको निरपेक्ष शून्य विभव कहते है । 3. विधुत धारा का बहाव उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होता है । 4. इलेक्ट्रान का बहाव निम्न विभव से उच्च विभव की ओर होता है ।
# विधुत विभव के प्रकार विधुत विभव दो प्रकार के होते हैं 1. धन विधुत विभव 2. ॠण विधुत विभव
1. धन विधुत विभव :- जब किसी आवेशित वस्तु को पृथ्वी के संपर्क में लाया जाता है तो पृथ्वी से इलेक्ट्रान का बहाव उस वस्तु की ओर होता है तो वस्तु का विभव धन माना जाता है ।
2. ॠण विधुत विभव:- जब किसी आवेशित वस्तु को पृथ्वी के संपर्क में लाया जाता है तो इलेक्ट्रान का बहाव वस्तु की ओर से पृथ्वी की ओर होता है तो वस्तु का विभव ॠण माना जाता है ।
• विभवांतर (Potential difference) क्या है ? उत्तर :- इकाई धन आवेश को विधुतीय क्षेत्र से किसी एक बिन्दु दूसरे बिन्दु तक ले जाने मे किए गए कार्य की मात्रा को विभवांतर कहते है । {दो विभावों के बीच के अंतर को विभवांतर कहते है } इसक S.I. मात्रक वोल्ट होता है । V = W / Q
• 1 वोल्ट किसे कहते है ? उत्तर :- यदि 1 कूलाम आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किया गया कार्य एक जूल हो तो उन दो बिंदुओं के बीच का विभवांतर 1 वोल्ट होता है । अर्थात , 1 वॉल्ट = 1 जुले / 1 कूलाम ⇒ 1 V = 1 W / 1 Q
आंकीक प्रश्न 2. 50 कूलाम आवेश को अनंत से विधुतिय क्षेत्र के एक बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य 62.5 J है , तो उस बिन्दु पर का विभव ज्ञात करें । Solution:- ∵ Q = 50 C , W = 62.5J ⇒ V = W / Q ⇒ V = 62.5J / 50 C ⇒ V = 1.25 VOLT
• ऐमीटर क्या है ? उत्तर :- ऐसा विधुतीय यंत्र जिसके द्वारा विधुत परिपथ में प्रवाहित होने वाली धारा मापी जाती है , उसे ऐमीटर कहते है । * विधुत परिपथ में जुड़े अन्य उपकरणों के साथ ऐमीटर को श्रेणीक्रम संयोजन में जोड़ा जाता है ताकि परिपथ की पूरी धारा का मान प्राप्त हो । * यह बहुत काम प्रतिरोध वाला विधुतीय यंत्र है ।
• वोल्टमीटर क्या है ? उत्तर :- ऐसा विधुतीय यंत्र जिसके द्वारा विधुत परिपथ के किन्ही दो बिंदुओं के बीच का विभवानतर मापा जाता है , वोल्टमीटर कहलाता है । * विधुत परिपथ में जुड़े अन्य उपकरणों के साथवॉल्टमीटर को समांतरक्रम संयोजन में जोड़ा जाता है ताकि परिपथ की धारा में बहुत काम रुकावट डाले । क्यूँकि वॉल्टमीटर एक उच्च प्रतिरोध वाला विधुतीय यंत्र है ।
• ऐमीटर और वोल्टमीटर में अंतर लिखें : उत्तर :- ऐमीटर और वोल्टमीटर में निम्नलिखित अंटेर है ।
ऐमीटर |
वोल्टमीटर |
1. यह किसी विधुत परिपथ में धारा की प्रबलता को मापता है । 2. यह विधुत परिपथ में श्रेणीक्रम संयोजन में जोड़ा जाता है । 3. इसका स्केल ऐम्पियर में अंकित रहता है । |
1. यह किसी विधुत परिपथ में किन्ही दो बिंदुओं के बीच का विभवानतर को मापता है । 2. यह विधुत परिपथ में समांतरक्रम संयोजन में जोड़ा जाता है।
3. इसका स्केल वोल्ट में अंकित रहता है । |
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• प्रतिरोध क्या है ? उत्तर : - चालक पदार्थ का वह गुण जो उसमे विधुत धारा के प्रवाह में रुकावट डालता है , उसे प्रतिरोध कहते है । इसको " R " से निरूप किया जाता है । इसका SI मात्रक ओम( Ω) होता है । प्रतिरोध = विभवांतर / विधुत धारा अर्थात , R = V / I
• 1 ओम से क्या समझते है ? उत्तर : यदि किसी चालक के दोनों सिरों के बीच एक वॉल्ट का विभवांतर होने पर उसमे एक ऐम्पीयर का धारा प्रवाहित होता है तो उस चालक के प्रतिरोध को एक ओम कहते है । 1 ओम = 1 वॉल्ट / 1 ऐम्पीयर
• किसी चालक का प्रतिरोध किन बातों पर निर्भर करता है ? उत्तर :- किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है । 1. चालक के प्रकृती पर :- चालक का प्रतिरोध चालक पदार्थ की प्रकृती पर निर्भर करता है । जैसे - जैसे चांदी का प्रतिरोध सबसे कम होता है , उससे अधिक तांबा का , उससे अधिक एल्युमिनियम का
2. चालक की लंबाई पर :- किसी चालक का प्रतिरोध चालक के लंबाई के समानुपाती होता है । अर्थात लंबाई बढ़ने पर प्रतिरोध बढ़ता है और लंबाई घटने पर प्रतिरोध घटता है ।
3. चालक के अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल पर :- चालक का प्रतिरोध अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल का व्युत्क्रमनुपाती होता है । अर्थात , मोटाई बढ़ने पर प्रतिरोध घटता है और मोटाई घटने पर प्रतिरोध बढ़ता है ।
4. किसी चालक के ताप पर : - ताप बढ़ने पर चालक का प्रतिरोध बढ़ता है और ताप घटने पर चालक का प्रतिरोध घटता है ।
• ओम के नियम को लिखें तथा इसके सत्यापन के लिए प्रयोग दें । उत्तर :- निश्चित ताप पर किसी चालक से प्रवाहित होनेवाली विधुत धारा चालक के सिरों के बीच के विभवांतर का समानुपाती होता है । अर्थात , I ∝ V or , V ∝ I or , V= IR { जहां R स्थिरांक है }
सत्यापन के लिए प्रयोग -
 ओम के नियम को सत्यापित करने के लिए चित्रानुसार उपकरणों को व्यवस्थित किया जाता है । क्रिया :- सबसे पहले परिवर्तनशील प्रतिरोध द्वारा प्रतिरोध को निश्चित करके स्विच को चालू किया जाता है । जिससे विधुत परिपथ में विधुत धारा प्रवाहित होती है । धारा (I) अमेटेर (A) से तथा स्थिर प्रतिरोध (R) को सिरे के बीच के विभवांतर (V) को वॉल्ट मीटर से मापा जाता है । परिवर्तनशील प्रतिरोध द्वारा प्रतिरोध को बदलकर परिपथ में धारा और विभवांतर को परिवर्तित किया जाता है और इस प्रकार पाँच पठन लिए जाते है । चूँकि माना की धारा और विभवांतर क्रमशः I1 , I2 , I3 , I4 ,I5 और V1 , V2 , V3 , V4 , V5 है । अब V को X- अक्ष से तथा I को Y - अक्ष से निरूपित करके ग्राफ खिंचा जाता है , जो सरल रेखा होता है । इससे सिद्ध होता है की I ∝ V इसप्रकार ओम का नियम सत्यापित हो जाता है । नोट :- 1. यदि कीसी प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाए और उनका समतुल्य प्रतिरोध R हो तो R = R1 + R2 + R3 + R4 +.................
2. यदि कीसी प्रतिरोधों को समांतर क्रम में संयोजित किया जाए और उनका समतुल्य प्रतिरोध R हो तो
 3. यदि कीसी सेलों को श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाए और उनका समतुल्य धारा I हो तो  जहां : n = सेलों की संख्या E = प्रत्येक सेल का विद्धुतवाहक बल r = आंतरिक प्रतिरोध R = बाहय प्रतिरोध 4. यदि कीसी सेलों को समांतर क्रम में संयोजित किया जाए और उनका समतुल्य धारा I हो तो
 5. यदि कीसी सेलों को मिश्रितक्रम में संयोजित किया जाए और उनका समतुल्य धारा I हो तो  जहां : m = कतारों की संख्या • प्रतिरोध का श्रेणी क्रम संजयोजन क्या है ? इस संयोजन में समतुल्य प्रतिरोध के लिए व्यंजन प्राप्त करें । उत्तर:-जब कई प्रतिरोधों को इस प्रकार संयोजित किया जाता है की एक प्रतिरोध के एक सीरे को दुसरे प्रतिरोध के एक सीरे से तथा दुसरे प्रतिरोध के दूसरे को तीसरे प्रतिरोध के एक एक सीर से जोड़ दिया जाता है। और इसी प्रकार आगे बढ़ाया जाता है। तो प्रतिरोधों के इस संयोजन के प्रतिरोध का श्रेणी क्रम संयोजन कहते है। Note: श्रेणी कर्म संयोजन में सभी प्रतिरोधों में समान धारा बहती है। परंतु सभी प्रतिरोधों के सीरे का विभवान्तर अलग-अलग होता है। समतुल्य प्रतिरोध के लिए व्यंजक की प्राप्ति :-
माना की चित्रानुसार तीन प्रतिरोध R1 , R2 तथा R3 को श्रेणी क्रम संयोजित किया जाता है। जिनमें समाना धारा, I प्रवाहित होती है परंतु प्रत्येक सीरे का विभवांतर अलग अलग है। पुनः माना की समतुल्य प्रतिरोध Rहै।
• प्रतिरोध का समांतर क्रम संजयोजन क्या है ? इस संयोजन में समतुल्य प्रतिरोध के लिए व्यंजन प्राप्त करें । उत्तर:-
जब कई प्रतिरोधों को इस प्रकार संयोजित किया जाता है की उनके एक सीरे को एक बिन्दु पर तथा दूसरे सीरे को दूसरे बिन्दु पर जोड़ दिया जाता है तो प्रतिरोधों के इस संयोजन को प्रतिरोधों का समान्तर क्रम संयोजन कहते हैं। Note- इस संयोजन में सभी प्रतिरोधों के सिरों पर का विभवान्तर समान होती है परन्तु धारा अलगअलग बहती है। समतुल्य प्रतिरोध के लिए व्यंजक की प्राप्ति :-
माना चित्रानुसार तीन प्रतिरोध R1 , R2 तथा R3 के समान्तर क्रम संयोजन में जोड़ा गया है। जिसमें धारा I1, I2 तथा I3 बहती है। परन्तु तीनों प्रतिरोधो को सीरों पर का विभवान्तर समान है। पुन: माना की समतुल्य प्रतिरोध R है ।
• विशिष्ट प्रतिरोध क्या है ? उत्तर :- किसी पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध उस पदार्थ के इकाई लंबाई का प्रतिरोध होता है । विशिष्ट प्रतिरोध को P से निरूपित किया जाता है । P = RA / L जहां : R - चालक का प्रतिरोध A - चालक का क्षेत्रफल L - चालक की लंबाई विशिष्ट प्रतिरोध का मात्रक ओम / मीटर होता है । • विशिष्ट चालकता किसे कहते है ? उत्तर :- किसी चालक के विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को उस चालक का विशिष्ट चालकता कहते है । विशिष्ट चालकता = 1 / P इसका S . I . मात्रक प्रति ओम प्रति मीटर होता है । • विधुत आवेश को अपने से प्रवाहित करने की क्षमता रखने की दृष्टि से पदार्थ कितने प्रकार के होते है ? उत्तर :- विधुत आवेश को अपने से प्रवाहित करने की क्षमता रखने की दृष्टि से पदार्थ चार प्रकार के होते है । (i) चालक - Conductor (ii) अचालक - Non Conductor (iii) अर्द्धचालक - Semi Conductor (iv) अतिचालक - Super Conductor • विद्धुत धारा का ऊष्मीय प्रभाव क्या है ? उत्तर : - जब किसी चालक में विद्धुत धारा प्रवाहित किया जाता है तो वह चालक गरम हो जाता है । विद्धुत धारा के इस प्रभाव को विद्धुत धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहते है । विद्धुत धारा का ऊष्मीय प्रभाव का अनुप्रयोग निम्न उपकरणों में किया जाता है । विद्धुत हीटर , विद्धुत स्तरी , विद्धुत बल्ब , रूम हीटर इत्यादि
• Effects of elector, current (धुतधारा के प्रभाव) :- जब किसी चालक से होकर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके कारण उस चालक में जो प्रभाव उत्पन्न होते हैं उनकों धुतधारा के प्रभाव कहते है । धुतधारा के प्रभाव तीन प्रकार के होते हैं।
(i) विद्धुत धारा के ऊष्मीय प्रभाव - Heating effect of electric current (ii) विद्धुत धारा के चुंबकिए प्रभाव - Magnatic effect of electric current. (iii) विद्धुत धारा के रसायनिक प्रभाव - chemical effect of electric current.
(i) विद्धुत धारा का ऊष्मीय प्रभाव :- जब किसी चालक में विद्धुत धारा प्रवाहित किया जाता है तो वह चालक गरम हो जाता है । विद्धुत धारा के इस प्रभाव को विद्धुत धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहते है । (ii) विद्धुत धारा के चुंबकिए प्रभाव :- जब कीसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। विद्युत धारा के इस प्रभाव को विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहते है। Note : - Electric current की दिशा बदल जोन पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बदल जाती है।
विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव के अनुप्रयोग निम्नलिखित उपकर्णो में किया जाता है। विद्युत पंखा, विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र
(iii) विद्धुत धारा के रसायनिक प्रभाव :- विद्युत धारा द्वारा रसायनिक अभिक्रिया सम्पन्न होने की घटना को विद्धुत धारा के रसायनिक प्रभाव कहते है। जैसे- विधुत आपघटन (electro (yes),विधुत लेपन (electro plating), विधुत लेखन (electro writing )
• विद्धुत शक्ति (Electric Power) क्या है ? उत्तर : - कीसी विद्युत - परिपथ मे कीसी विधुतिय यंत्र द्वारा विद्युत ऊर्जा के व्यय की दर को उस विधुतीय यंत्र की विद्धुत शक्ति कहते हैं। P = W / t P = v^2 / R P = vi P = I^2R विद्धुत शक्ति का S . I . मात्रक watt होता है ।
• watt :- यदि किसी चालक के सिरों के बीच 1 volt विभवांतर पर 1 ampere धारा प्रवाहित होती हो तो उस चालक का शक्ति 1 watt कहा जाता है या यदि किसी परिपथ में 1 जूल प्रति सेकंड की दर से कार्य किया जा रहा है , तो उस परिपथ की विद्धुत शक्ति 1 watt कहलाती है । 1 watt = 1v x 1A • विद्धुत ऊर्जा (Electric energy) क्या है ? उत्तर :- विद्युत आवेश द्वारा कार्य करने की जो क्षमता प्राप्त होती है उसको विद्धुत ऊर्जा कहते हैं ।
उसका मात्रक Joule भी है।
• kWh :- कीसी विद्युत परिपथ मे 1kw विद्युत शक्ति को 1 घंटा तक प्रयोग करने से जो विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होकर व्यतीत होती है उसको 1 kWh कहते है। Note- 1KWh को 1 electric unit या unit कहा लिख जाता है।
• B . O . T . unit (Board of trade unit) :- मकानों या अन्य औद्योगिक स्थानों पर विद्युत मरिर से विधुत ऊर्जा के उपयोग का पठन B . O . T . में ही लिया जाता है। 1B . O . T .= -1 unit = 1kWh = 3.6x10^6 वाट
कुछ मात्रक :-
Electric Power = watt 1watt = 1 volt X 1 Ampere Electrical energy = बड़ा मात्र kJ तथा Mj है KJ = 10^3 j तथा 1MJ = 10^6J Electrical energy का मात्रक का मात्रक wh भी है। 1wh = 1watt x 1hour 1X 3600 = 3600jule 1 Electrical energy का व्यवाहारिक मात्रक kWh है । 1 kWh = 1 unit = 1 B . O . T . unit = 3600000 Energy , Heat , work का मात्रक जूल है ।
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