Page 162 - कक्षा 10 भौतिकी अध्याय विद्धुत धारा का चुंबकीय प्रभाव नोट्स
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🖊 चुंबक (Magnet) :- वह पदार्थ जिसमें आकर्षक तथा दिशा सूचक दोनों गुण वर्तमान रहते है , उसको चुंबक कहते है ।
Note:- Right hand thumb rule को max wells Right and thumb rule कहते हैं।
फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम:- यदि दाहिने हाँथ का अंगूठा , तर्जनी और माध्यमा को परस्पर लम्बवत इस प्रकार फैलाया जाए की अंगूठा चालक की गति की दिशा में हो, तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में हो तो मध्यमा चालक में प्रेरित -धारा की दिशा को व्यक्त करती है इसको फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम कहते हैं।
Note - (i) यदि ø2 - ø1 धनात्मक हो तो प्रेरित धारा विपरित दिशा में होगी
Dear Asif Sir
अध्याय - विद्धुत धारा का चुंबकीय प्रभाव |
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🖊 चुंबक (Magnet) :- वह पदार्थ जिसमें आकर्षक तथा दिशा सूचक दोनों गुण वर्तमान रहते है , उसको चुंबक कहते है ।
# Magnet दो प्रकार के होते हैं।
(i) Natural Magnet - प्रकृतिक चुम्बक
(ii) Artificial Magnet - कृत्रिम - चुम्बक
(i) Natural Magnet:- प्रकृति में पाये जाने वाले लोहा के ऑक्साइड अर्थात Fe3O4 को Natural Magnet या प्राकृतिक -चुम्बक कहते हैं।
Note :- यह निर्बल तथा अनियमित आकार का होता है।
(ii) Artificial Magnet :- किसी चुम्बकीय पदार्थ से विभिन्न विधियों से बनाए गए चुम्बक को Artificial Magnet या कृत्रिम चुम्बक कहते है।
# कृत्रिम चुम्बक निम्न प्रकार के होते हैं।
(i) Bar Magnet -छड़ चुम्बक
(ii) Horse Magnet - नाल चुम्बक
(ii) Needle Magnet - सुइ चुम्बक
(iv) Ball ended Magnet - गोलांत चुम्बक
🖊 Magnetic Pole (चुम्बकीय ध्रुव):- चुम्बक के दोनों सिरों के निकट के वे बिन्दु जहाँ पर चुम्बकीय बल अधिकतम होता है। उनको चुम्बकीय ध्रुव कहते है ।
Note - वास्तव में चुम्बकीय ध्रुव एक सतह होता है परन्तु परायोगिक रूस से उसको एक बिन्दु माना जाता है।
# चुम्बकीय ध्रुव दो प्रकार के होते हैं।
(i) North Pole - उत्तरी ध्रुव
(ii) South Pole- दक्षिणी ध्रुव
(i) North Pole :- किसी चुम्बक को स्वतंत्रता पूर्वक झूलने के लिए किसी धागा द्वारा लटकाने पर उसका जो सीरा हमेशा उत्तर की ओर रहता है, उसको North Pole या उत्तरी ध्रुव कहते है।
इसको N.P से निरूपित किया जाता है।
इसको N.P से निरूपित किया जाता है।
(ii) South Pole - किसी चुम्बक को स्वतंत्रता पूर्वक झूलने के लिए किसी धागा द्वारा लटकाने पर उसका जो सीरा हमेशा दक्षिण की ओर रहता है, उनको South Pole या दक्षिणी ध्रुव कहते है।
इसको S.P. से निरूपित किया जता ।
🖊 law of attraction and repulsion between Magnetic Pole ( चुम्बकीय ध्र्व के बीच आकर्षण तथा प्रतिकर्षण का नियम )
चुम्बकीय ध्रुव के बीच आकर्षण तथा प्रतिकर्षण के दो नियम है।
(i) चुम्बक के असमान ध्रुव एक दूसरे को आकर्षित करते है।
(ii) चुम्बक के समान ध्रुव एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।
🖊 Magnetic axis (चुम्बकीय अक्ष) :- चुम्बक के दोनों ध्रुवोंओं को मिलीग वाली रेखा को Magnetic axis या चुम्बकीय अक्ष कहते है।
🖊 Magnetic Length ( चुम्बकीय लम्बाई):- किसी चुम्बक के दोनों ध्रुवों के बीच की दुरी को Magnetic length या चुम्बकीय लम्बाई कहते है।
चुम्बकीय लम्बाई को चुम्बक की सार्थक लंबाई कहते है ।
🖊 Geometric length of Magnet ( चुम्बकीय ज्यामितिय लंबाई ) - चुम्बक की पूरी
लम्बाई को उसको चुम्बकीय ज्यामितिय लंबाई कहते हैं।
चुम्बक की लंबाई उसकी ज्यामितिय लंबाई की 5/6 गुनी होती है ।
चुम्बक की लंबाई उसकी ज्यामितिय लंबाई की 5/6 गुनी होती है ।
🖊 Magnetic field ( चुम्बकीय क्षेत्र) :- वह क्षेत्र जहां तक किसी चुम्बक का चुम्बकीय बल कार्य करता है, उसको उस चुम्बक का Magnetic field या चुम्बकीय क्षेत्र कहते है।
इसका SI unit tesla तथा CG unit Gauss है
1Tesla = l0^4Gauss
इसका SI unit tesla तथा CG unit Gauss है
1Tesla = l0^4Gauss
🖊 Magnetic line of force (चुम्बकीय बल रेखा) : - चुम्बकीय बल रेखा एक वक्र रेखा होती है। जो किसी चुम्बक के N. Pole से शुरू होकर S. Pole पर समाप्त होती है और उसको किसी बिन्दु पर खीची है गई स्पष्ट रेखा उस बिन्दु पर रखे हुए किसी चुम्बक के उपलम्बन्ध बल की दिशा को निरूपित करती है।
🖊 Magnetic substance (चुम्बकीय पदार्थ):- वह पदार्थ जिसको चुम्बक अपनी ओर आकर्षित करता है और जिसे कृत्रिम चुम्बक बनाया जा सके, उसो चुम्बकीय पदार्थ कहते है।
जैसे- Fe , CO , Ni , तथा इनके मिश्रण
जैसे- Fe , CO , Ni , तथा इनके मिश्रण
🖊 Electro magnetic (विद्धुत चुम्बक) :- नर्म लोहे के क्रोड पर लपेटी हुई विधुत रोधीतार से बनी हुई कुन्डली में विधुत धारा प्रवाहित करने पर वह लोहा कृत्रिम चुम्बक बन जाता है। उसको विद्धुत चुम्बक कहते है।
धारा की दिशा बदल देने पर विद्धुत चुम्बक की ध्रुवता (polarity) बदल जाती है ।
धारा की दिशा बदल देने पर विद्धुत चुम्बक की ध्रुवता (polarity) बदल जाती है ।
🖊 Stable magnet (स्थाई चुम्बक):- वह चुम्बक जिस पर से दुसरे चुम्बकीय प्रभाव को हटालेने के बाद भी वह चुम्बक बना रहता है, उसको स्थाई चुम्बक कहते है ।
🖊 Magnetic domain (चुम्बकीय डोमेन):- एक चुम्बक अनेक छोटे-छोटे अणु चुम्बकों द्वारा बना होता है। ये अणु चुम्बक, चुम्बक के भीतर अनके छोटे छोटे क्षेत्रों में स्थित रहते है । जिनमें से प्रत्येक क्षेत्र को चुम्बकीय डोमेन कहते हैं।
🖊 चुम्बक, चुम्बकीय पदार्थ तथा अचुम्बकीय पदार्थ का पहचान कैसे करेंगे?
Ans:-
चुम्बक, चुम्बकीय पदार्थ तथा। अचुम्बकीय पदार्थ का पहचान के लिए एक छड़ - चुम्बक को हाथ में लेकर उसके एक सिरों को दिए गए पदार्थ के दोनों सीरों के पास ले जाएंगे
(i) यदि एक सिरा पर आकर्षण और दुसरे सिरा पर प्रतिकर्षण होता है, तो वह पदार्थ चुम्बक है।
(ii) यदि दोनों सिरों पर आकर्षित होता हो, तो वह पदार्थ चुम्बकीय पदार्थ है।
चुम्बक, चुम्बकीय पदार्थ तथा। अचुम्बकीय पदार्थ का पहचान के लिए एक छड़ - चुम्बक को हाथ में लेकर उसके एक सिरों को दिए गए पदार्थ के दोनों सीरों के पास ले जाएंगे
(i) यदि एक सिरा पर आकर्षण और दुसरे सिरा पर प्रतिकर्षण होता है, तो वह पदार्थ चुम्बक है।
(ii) यदि दोनों सिरों पर आकर्षित होता हो, तो वह पदार्थ चुम्बकीय पदार्थ है।
(iii) यदि दोनों सिरो पर न आकर्षण होता हो और न प्रतिकर्षण होता हो तो वह अचुम्बकीय पदार्थ है।
🖊 स्वतंत्रता पूर्वक लटकाया गया चुम्बक सदव उत्तर - दक्षिण दिशा में आकर रुकता है। क्यों?
Ans:-
पृथ्वी एक बहुत बड़ा चुम्बक है। उसका उत्तरी ध्रुव, दक्षिण में तथा दक्षिणी ध्रुव उत्तर में अवस्थित है। जब किसी चुम्बक को स्वतंत्र पुर्वक झुलने के लिए लटका दिया जाता है तो पृथ्वी का का S. Pole चुम्बका के N. Pole को अपनी ओर खींचता है इसलिए N. Pole उत्तर में हो जाता है तथा S. Pole दक्षिण में हो जाता है ।
🖊 Electric bell (विद्धुत घंटी) or Calling Bell ( बुलाने की घंटी) :- विधुत घंटी एक विधुतिय यंत्र है जो विद्युत धारा के चुम्बकीय सिद्धान्त पर कार्य करता है तथा जो विधूत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
बनाव:- विधुत घंटी को बजाने के लिए चित्रानुसार उपकर्णों को व्यवस्थित किया जाता है।
क्रिया :- जब कुंजी को दबाया जाता है तो विधुत परिपथ में धारा प्रवाहित होती है जिसके द्वारा नाल चुम्बक मे चुम्बक्ता उत्पन्न होजाती है। जिससे वह लोहा के आरमेचर को अपनी ओर खींचता है। जिससे हथौड़ा निचे आकर घण्टी पर चोट मारता है । जिससे घंटी बजती है। परन्त अरमेचेर के आकर्षित होने से कमानी का सम्पर्क पेंच से टूट जाता है। जिससे विद्युत परिपथ भंग हो जाता है और नाले चुम्बक लोहा बनजाता है तथा वह आरमेचर को छोड़ देता है। इस प्रकार प्रथम स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं तथा घंटी उस समय तक बजती है जब तक कुंजी को दबाकर रखा जाता है ।
🖊 Effect of magnetic on current ( विद्धुत धारा पर चुम्बक का प्रभाव):- यदि कीसी चुम्बक के निकट स्वतंत्रता पूर्वक झूलने वाले चालक तार को लटकाया जाए और उसमें विद्धुत धारा प्रवाहित कीया जाए तो वह चालक तार चुम्बक के चारों ओर घूमने लगता है ,उसको धारा पर चुम्बक का प्रभाव कहते है ।
🖊 Electromagnetic Induction (विधुत चुम्बकीय प्रेरण):- कीसी कुंडली की सतह को पार करने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं या चुंबकिए फलक्स (magnetic flux) की संख्या में परिवर्तत होने के कारण कुंडली में विधुत वाहक बल प्रेरित होने की घटना को विद्धुत चुम्बकीय प्रेरण कहते है।
🖊 Induced electromotive force (प्रेरित विद्धुत वाहक बल) :- जब कीसी कुंडली से गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होता है तो कुंडली में एक विद्धुत वाहक बल उत्पन्न होता है इसको प्रेरित विद्धुत वाहक बल कहते है।
🖊 Induced current (प्रेरित धारा) :- विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के कारण कीसी कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल द्वाराउत्पन्न विद्धुत धारा को प्रेरित धारा कहते है।
🖊 Right hand thumb rule (दक्षिण हस्त नियम) :- सीधी धारा वाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा का ज्ञान दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम द्वारा प्राप्त कीया जाता है ।
जो निम्नलिखित है
जो निम्नलिखित है
Right hand thumb rule (दक्षिण हस्त नियम) :- कल्पना करें की सीधी धारा वाही चालक को दाएँ हाँथ से इस प्रकार पकड़ा जाए की अंगुठा चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को इंगीत करे तो अन्य अंगुलिया चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रोखाओं की दिशा में लिपटी रहती है। इसको दक्षिण हस्त नियम कहते है।
Note:- Right hand thumb rule को max wells Right and thumb rule कहते हैं।
🖊 Fleming left hand rules(फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम) → चुम्बक द्वारा धारा वाही चालक पर आरोपित बल की दिशा की जानकारी Fleming left hand rules द्वारा की जाती है।
जो निम्नलिखित है।
Fleming left hand rule - यदि बाएँ हाथ की माध्यमा, तर्जनी और अंगुठा को परस्पर लम्बवत इस प्रकार फैलाया जाए की माध्यमा चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को और तर्जनी चुंबकिए क्षेत्र की दिशा को बताता हो तब अंगूठा धारा पर आरोपित चुम्बकीय बल की दिशा को व्यक्त करता है। इसको फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम कहते हैं।
🖊 फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम (Fleming's Right hand rule) :- प्रेरित धारा की दिशा इस नियम से प्राप्त होती है। जो निम्नलिखित हैं।
फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम:- यदि दाहिने हाँथ का अंगूठा , तर्जनी और माध्यमा को परस्पर लम्बवत इस प्रकार फैलाया जाए की अंगूठा चालक की गति की दिशा में हो, तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में हो तो मध्यमा चालक में प्रेरित -धारा की दिशा को व्यक्त करती है इसको फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम कहते हैं।
🖊 Magnetic flux (चुम्बकीय फलक्स) :- कीसी कुंडली की सतह का क्षेत्रफल , चुम्बकीय क्षेत्र की तिव्रता तथा कुंडली तल के लम्बवत तल और चुम्बकीय क्षेत्र के बीच के कोण के cosine के गुणनफल को कंडली तल पर चुम्बकीय फलक्स कहते हैं।
चुम्बकीय फलक्स को ø से निरुपित किया जाता है।
ø = BACOS⊘
जहां :- B चुंबकिए क्षेत्र की तीव्रता है ।
A कुंडली तल का क्षेत्र
⊘ चुंबकिए तल की लम्बवत
चुम्बकीय फलक्स को ø से निरुपित किया जाता है।
ø = BACOS⊘
जहां :- B चुंबकिए क्षेत्र की तीव्रता है ।
A कुंडली तल का क्षेत्र
⊘ चुंबकिए तल की लम्बवत
🖊 Couple force(बल युग्म) :- किसी वस्तु पर क्रियाशील दो बराबर तथा समानतर परंतु विपरीत बालों के युग्म को बल युग्म कहते है ।
🖊 Faraday's law's of electromagnetic Induction ( फैराडे के विद्धुत चुम्बकीय प्रेरण के नियम)
फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के दो नियम है
पहला नियम :- जब कीसी बंद कुंडी से गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की कुल संख्या में परिवर्तन होता है तो कुंडली में प्रेरित धारा बहती है।
यह धारा तब तक बहती रहती है जब तक यह परिवर्तन जारी रहता है।
बल रेखाओं कीसंख्या में वृद्धि होने पर विपरित दिशा में धारा बहती है तथा कमी होने पर सीधी दिशा में धारा बहती है।
दुसरा नियम : - किसी कुंडली में प्रेरित विद्धुत वाहक बल चुम्बकीय फलक्स में परिर्तन के दर के अनुकर्मानुपाती होता है।
अर्थात, E∝ø2 - ø1 / t2-t1
or, E = K * ø2 - ø1 / t2-t1
SI पद्धति में K = 1
E = ø2 - ø1 / t2 - t1 (volt)
चूँकि प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा परिवर्तन की दरर के विपरित होती है
इसलिए , E= ø2 - ø1 / t2-t1 (volt)
यदि कुंडली में लपेटों की संख्या n होतो E = -N* ø2 - ø1 / t2-t1(volt)
Note - (i) यदि ø2 - ø1 धनात्मक हो तो प्रेरित धारा विपरित दिशा में होगी
(ii) यदि ø2 - ø1 ॠणात्मक होतो प्रेरित धारा सीध दिशा में होगी।
