Page 135 Class 10th Biology Notes पाठ - श्वसन
अध्याय
- श्वसन
2. श्वसन (Respiration): जीव जंतुओं की कोशिकाओं
में ऑक्सीजन की उपस्थिति में भोजन के जैविक ऑक्सीकरण होने की क्रिया को श्वसन कहते
हैं। इसमें ऑक्सीजन ग्लूकोज को तोड़ देता है और CO₂, H₂O तथा ऊर्जा (उष्मा)
निकलती है। यही कारण है कि मृत व्यक्ति का शरीर ठंडा हो जाता है क्योंकि वह साँस नहीं
लेता है।
C6H12O6 + 602
श्वसन दो तरह का होता है
(i) बाह्य श्वसन (External respiration)
(ii) कोशकीय श्वसन / आंतरिक श्वसन (Cellular respiration)
(i) बाह्य श्वसन (External respiration) :- प्राणी और वातावरण
के बीच श्वसन गैसों (O₂ एवं CO2) के आदान-प्रदान अर्थात् ऑक्सीजन का शरीर में आना और कार्बन डाइऑक्साइड
का शरीर से बाहर जाना बाह्य श्वसन कहलाता है। इस प्रकार की श्वसन क्रिया फुफ्फुस
(Lungs) में सम्पन्न होती है।
श्वासोच्छवास (Breathing):- साँस अन्दर लेने तथा बाहर छोड़ने की क्रिया को श्वासोच्छवास कहते हैं। श्वासोच्छवास दो प्रकार का होता है
मानव का श्वसन मार्गः मानव जब श्वसन करता है तो
वायु जिस मार्ग का अनुसरण करती है तो उस मार्ग को ही श्वसन मार्ग कहा जाता है। श्वसन
मार्ग निम्नलिखित हैं:
1. नाशा छिद्र / नासिका छिद्र
2. नाशा कपाट
3. ग्रसनी (Pharynx)
4. स्वरतंत्र (Larynx)
5. श्वासनली (Trachea)
6. फेफड़ा (Lungs)
7. वायुकोष्ठक (Alveoli)
1. नाशा छिद्र /नासिका
छिद्र (Nasal Cavity):- नाशा नाशा छिद्रों में वायु प्रवेश करती है, नाशा छिद्रों के भीतर
रोम या बाल होते हैं, जो धूल के कण तथा सूक्ष्मजीवों
को शरीर में प्रवेश करने से रोकता हैं।
2. नाशा कपाट:- यह नाक का पिछला भाग है। इसमें चिपचिपा पदार्थ
(म्यूकस) पाया जाता है। नाशा कपाट के पास Olfactory lobe पाया जाता है जो हमें सुगंध
का एहसास कराता है।
3. ग्रसनी (Pharynx) :- वायु नासिका छिद्रों से ग्रसनी में आती है। इस मार्ग
से भोजन तथा वायु दोनों जाते हैं।
4. स्वरतंत्र (Larynx):- यह ग्रसनी के नीचे
पाया जाता है। यह आवाज निकालने में सहायक है अतः इसे Voice box भी कहते हैं।
Note:- Larynx पर एक कपाट पाया जाता है जिसे इपिग्लोटिस (epiglottis) कहते हैं। जब हम कुछ निगलते हैं तो epiglottis बंद हो जाता है और भोजन को श्वासनली में जाने से रोकती है। जब
कभी Epiglottis खुला रह जाता है तो भोजन श्वासनली
में चला जाता है जिससे हमें हिचकी आने लगती है। Epiglottis का नियंत्रण मेड्यूला
आब्लागांटा करता है।
5. श्वासनली (Trachea):- जो गले में स्थित स्वरतंत्र (लैरिक्स) को फेफड़ों
से जोड़ती है इसके द्वारा वायु फेफड़े के अन्दर तक जाता है। ट्रेकिया के चारो ओर घुमाउदार
नरम हड्डी का सुरक्षा परत होता है जिसे कार्टिलेज कहते हैं। ट्रेकिया आगे जाकर
दो शाखा में बँट जाती है जिसे ब्रोंकाई कहते हैं। आगे जाकर ब्रोंकाई कई शाखाओं
में टूट जाती है। जिसे ब्रोंकिओलेस कहते हैं।
6. फेफड़ा (Lungs): यह मानव के वक्ष गुहा
में पाया जाता है जिसका आधार डायाफ्राम पर टिका रहता है। यह मानव का मुख्य श्वसन अंग
है। इसकी संख्या दो होती है। फेफड़ा प्लयूरल झिल्ली
द्वारा ढका होता है। फेफड़े को फुफ्फुस भी कहते हैं। फेफड़ा रक्त में ऑक्सीजन मिला
देती है जिससे रक्त का शुद्धीकरण कहते हैं अर्थात रक्त फेफड़ा में जाकर शुद्ध होता
है।
7. वायुकोष्ठक (Alveoli):- Bronchioles के सिरे पर गोल संरचना
पायी जाती है जिसे वायुकोष्ठक कहते हैं।
वायुकोष्ठक गैसों के विनिमय
(Exchange) का कार्य करता है, वायुकोष्ठक में रक्त कोशिकायें आती है तथा रक्त के अन्दर हिमोग्लोबिन
(Hb) होता है जो वायु के ऑक्सीजन का अवशोषण कर कोशिकाओं में पहुंचाता
है और यह ऑक्सीजन ग्लूकोज को तोड़ देता है जिसके फलस्वरूप CO₂ निकलता है। और कार्बन डाइऑक्साइड को दे देता है। Hb , CO₂ को बांध लेता है और पुन: वायुकोष्ठक तक वापस आता है। जब हम
सांस छोड़ते (नि: श्वसन) है तो वायुकोष्ठक से CO₂, बाहर निकल जाता है।
यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है जिसे श्वसन कहते हैं।
Note:-
◾ जब वायुकोष्ठक जाम हो जाता
है तो उस बिमारी को निमोनिया कहते हैं।
◾ TV नामक रोग में वायुकोष्ठक में
छेद हो जाता है
◾ जब वायकोष्ठक पर बलगम जम जाता है तो उसे दमा रोग कहते
(ii) कोशकीय श्वसन /
आंतरिक श्वसन (Cellular
respiration): कोशिकाओं में कार्बोहाइडेट
(भोजन से प्राप्त) के आक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा प्राप्त होने
की किया को कोशिकीय श्वसन कहते हैं। इस क्रिया के दौरान मुक्त होने वाली ऊर्जा
को ATP नामक जैव अणु में संग्रहित करके रख लिया जाता है जिसका उपयोग सजीव अपनी विभिन्न
जैविक क्रियाओं में करते हैं।
कोशकीय श्वसन की
प्रक्रिया में ऑक्सीजन की उपस्थिति के आधार पर इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है:
(a) अवायवीय शवसन (Anaerobic Respiration):- यह कोशिका द्रव (Cytoplasm) में होता है। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति
में होने वाला श्वसन अवायवीय श्वसन कहलाता है। बीज का अंकुरण, जीवाणु तथ यीस्ट में अवायवीय श्वसन होता है है। इसमें (छः कार्बन
परमाणु) का विघटन पायरूवेट अम्ल (तीन कार्बन परमाणु) में होता है। जिसके फलस्वरूप 2ATP का निर्माण होता है।
(b) वायवीय श्वसन (Aerobic Respiration):- यह माइट्रोकोण्ड्रिया में होता है। ऑक्सीजन की उपस्थिति में होने वाला श्वसन वायवीय
श्वसन कहलाता है। इसमें पायरूवेट अम्ल पूर्ण अपघटन (टूटना) होकर कार्बन डायऑक्साइड
तथा जल बनाता है। तथा इस अपघटन से कुल 36 ATP बनते हैं
Note :-
➤ आंतरिक श्वसन (कोशिकीय श्वसन) के फलस्वरूप हम सांस नहीं लेते हैं बल्कि ऊर्जा का
निर्माण करते हैं। फेफड़ा में होने वाले श्वसन को बाह्य श्वसन कहते हैं। जबकि कोशिका
में होने वाले श्वसन को आंतरिक श्वसन कहते हैं। हमारे शरीर में होने वाला श्वसन, वायवीय श्वसन (Aerobic Respiration) है।
➤ ATP (Adenosine Triphospate) का अर्थ , एडिनोसिन ट्राइफास्फेट
एक विशिष्ट योगिक है जो सभी सजीव कोशिका में ऊर्जा का वाहक एंव संग्राहक है।
➤ कभी कभी अधिक भाग दौड़ या दौड़ने पर हमारी पेशी कोशिकाओं में ऑक्सीजन का आभाव हो
जाता है। इस स्थिति में उर्जा प्राप्ति के लिये पायरूवेट अम्ल का विखंडन ऑक्सीजन की
अनुपस्थिति में होता है, तथा कार्बन डाइऑक्साइड के
साथ लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है। लैक्टिक अम्ल के कारण हमारी पेशियों में दर्द
या कैंप होने लगता है। आराम करने या मालिश करने पर लैक्टिक अम्ल विघटित होकर ईथेनॉल
तथा जल में परिवर्तित हो जाता है, जिससे पेशियों में होनेवाले
दर्द या ऐंठन खत्म हो जाता है, तथा आराम मिलता है।
भिन्न पथों द्वारा ग्लूकोज विखंडन
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