Page 407 Class 12th Home Science Notes Chapter 2 शैशवकाल के निवारणात्मक रोगों से बचाव

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इकाई-2: शैशवकाल के निवारणात्मक रोगों से बचाव

शैशवकाल का अर्थ
● जन्म से 6 वर्ष की आयु तक के समय को शैशवकाल कहते हैं।
● इस अवधि में बच्चा शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक दृष्टि से तीव्र गति से विकास करता है।
● शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर होती है, इसलिए उसे विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।

शिशुओं में रोग होने के कारण
● जन्म से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली।
● माता का दूध न मिलना।
● गंदगी और अस्वच्छ वातावरण।
● असंतुलित आहार।
● समय पर टीकाकरण न होना।
● संक्रमण फैलाने वाले कीटाणु (वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी)।

शिशुओं में सामान्य रोग
1. दस्त (डायरिया)
2. खसरा (मीजल्स)
3. टेटनस
4. पोलियो
5. निमोनिया
6. मलेरिया
7. कुपोषण जन्य रोग (क्वाशियोर्कर, मेरसमस)
8. चेचक (स्मॉल पॉक्स)


रोगों से बचाव के उपाय

1. टीकाकरण (Immunization)
● शिशु को जन्म से लेकर 5 वर्ष तक समय-समय पर सभी जरूरी टीके लगवाना चाहिए।
● टीकाकरण से शरीर में रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है।
● भारत सरकार की यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) के अंतर्गत शिशु को निम्नलिखित टीके मुफ्त लगाए जाते हैं:
बीसीजी (BCG) –  तपेदिक के लिए।
डीपीटी (DPT) –   डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस के लिए।

पोलियो ड्रॉप्स     पोलियो के लिए।
हेपेटाइटिस-B
मीजल्स (खसरा)
विटामिन-A की खुराक

2.
माता का दूध (स्तनपान)
● जन्म के पहले 6 माह तक केवल माँ का दूध ही देना चाहिए।
● माँ के दूध से शिशु को संक्रमण से बचाने वाले एंटीबॉडीज मिलते हैं।
● यह शिशु के लिए संपूर्ण आहार होता है।

3. स्वच्छता एवं पोषण
● शिशु को साफ-सुथरे कपड़े पहनाना और नियमित स्नान कराना।
● घर में साफ-सफाई रखना, मक्खी-मच्छरों से बचाव करना।
● शिशु को संतुलित आहार देना।

4. सुरक्षित प्रसव और नवजात की देखभाल
● प्रशिक्षित डॉक्टर या नर्स की देखरेख में प्रसव कराना।
● जन्म के तुरंत बाद नाल को सही तरीके से काटना।
● नवजात को गर्म रखना और संक्रमण से बचाना।

5. बीमार पड़ने पर उपचार
● किसी भी बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना।
● घरेलू उपचार से गंभीर बीमारियों को न टालें।
● नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें।


शैशवकाल में होने वाले प्रमुख रोग:
1.खसरा (Measles)
कारण: वायरस
लक्षण: बुखार, खांसी, दाने
बचाव: खसरे का टीका (MR/MMR)

2. डिप्थीरिया
कारण: जीवाणु
लक्षण: गले में झिल्ली जमना, सांस लेने में कठिनाई
बचाव: डी.पी.टी. टीका

3. काली खांसी (Whooping Cough)
कारण: जीवाणु
लक्षण: लगातार खांसी, उल्टी
बचाव: डी.पी.टी. टीका

4. टेटनस
कारण: घाव के ज़रिए बैक्टीरिया
लक्षण: मांसपेशियों में अकड़न
बचाव: डी.पी.टी. टीका, घाव की सफाई

5. पोलियो
कारण: वायरस
लक्षण: शरीर के अंगों में लकवा
बचाव: पोलियो ड्रॉप्स (ओ.पी.वी.)

6. क्षय रोग (टी.बी.)
कारण: बैक्टीरिया
लक्षण: बुखार, वजन घटना, खांसी
बचाव: बी.सी.जी. टीका

7. विटामिन A की कमी
कारण: आहार में विटामिन A की कमी
लक्षण: रतौंधी, आंखों में सूखापन
बचाव: विटामिन A की खुराक

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1: शैशवकाल में रोग क्यों होते हैं?
उत्तर: शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। उचित पोषण, स्वच्छता और टीकाकरण के अभाव में शिशु जल्दी रोगग्रस्त हो जाता है।

प्रश्न 2: टीकाकरण का क्या महत्व है?
उत्तर: टीकाकरण शिशु को खतरनाक संक्रामक रोगों से बचाता है। यह रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और मृत्यु दर घटाता है।

प्रश्न 3: पोलियो किस कारण होता है और इसका बचाव कैसे करें?
उत्तर: पोलियो एक वायरस से होता है। शिशु को जन्म के बाद से नियमित पोलियो ड्रॉप्स (ओ.पी.वी.) पिलाकर बचाव किया जा सकता है।

प्रश्न 4: विटामिन A की कमी से कौन-सी बीमारी होती है?
उत्तर: विटामिन A की कमी से रतौंधी और आंखों में सूखापन होता है। बचाव के लिए विटामिन A की खुराक देनी चाहिए।

प्रश्न 5: शिशु के स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता के कौन-कौन से उपाय अपनाए जाने चाहिए?
उत्तर:
शिशु के कपड़े और खिलौने साफ रखें।
शुद्ध पानी और स्वच्छ भोजन दें।
घर का वातावरण साफ-सुथरा रखें।
माता-पिता व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1: शिशु के निवारणात्मक स्वास्थ्य देखभाल के मुख्य उपायों का वर्णन करें।
उत्तर: शिशु को रोगों से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
1. टीकाकरण: सभी अनिवार्य टीके समय पर लगवाना।
2. संतुलित आहार: शिशु को स्तनपान कराना और 6 माह बाद पोषक आहार देना।
3. स्वच्छता: रहने का स्थान, वस्त्र और बर्तन साफ रखें।
4. चिकित्सा देखभाल: बीमारी के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से इलाज कराना।
5. जागरूकता: माता-पिता को रोगों और बचाव के तरीकों की जानकारी होना।

प्रश्न 2: माता-पिता शिशु के रोगों से बचाव में क्या भूमिका निभा सकते हैं?
उत्तर: माता-पिता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे शिशु को समय पर टीकाकरण दिलवाएं, संतुलित आहार दें, स्वच्छता रखें, समय-समय पर चिकित्सकीय परीक्षण करवाएं और रोगों के प्रति जागरूक रहें।

महत्वपूर्ण प्रश्नउत्तर

लघु (2–3 अंक) प्रश्न

प्रश्न1. शिशु रोगों से बचाने के लिए कौन-कौन से टीके लगाए जाते हैं?
उत्तर: शिशु के लिए अनिवार्य टीके हैं:
बीसीजी (टी.बी. से बचाव)
डीपीटी (डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस से बचाव)
पोलियो ड्रॉप्स (पोलियो से बचाव)
खसरे का टीका
हेपेटाइटिस-B
विटामिन-A की खुराक

प्रश्न 2. शिशु को जन्म के तुरंत बाद कौन-कौन से टीके दिए जाते हैं?
उत्तर: शिशु को जन्म के तुरंत बाद निम्न टीके दिए जाते हैं।
बीसीजी
ओपीवी–0 (पोलियो)
हेपेटाइटिस-B

 

प्रश्न 3. विटामिन-A की कमी से होने वाला प्रमुख रोग कौन सा है?
उत्तर: रतौंधी (रात में दिखाई न देना)।

प्रश्न 4. डिप्थीरिया किस प्रकार का रोग है?
उत्तर: डिप्थीरिया एक जीवाणु जनित रोग है, जो गले में झिल्ली जमने से सांस लेने में कठिनाई पैदा करता है।

प्रश्न 5. शिशु के स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता क्यों आवश्यक है?
उत्तर: स्वच्छता से संक्रमण का खतरा कम होता है और शिशु रोगों से सुरक्षित रहता है।

दीर्घ (5–6 अंक) प्रश्न

प्रश्न 1. शिशु के निवारणात्मक स्वास्थ्य देखभाल के प्रमुख उपाय लिखिए।
उत्तर: शिशु के निवारणात्मक स्वास्थ्य देखभाल के उपाय:
जन्म के तुरंत बाद टीकाकरण कराना।
6 माह तक केवल माँ का दूध देना।
संतुलित आहार देना।
रहने का स्थान और वस्त्र स्वच्छ रखना।
समय-समय पर चिकित्सकीय जांच कराना।
रोगों के प्रति जागरूक रहना।

प्रश्न 2. राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के उद्देश्य और लाभ लिखिए।
उत्तर:  
उद्देश्य:
शिशु मृत्यु दर कम करना।
संक्रामक रोगों का उन्मूलन करना।

लाभ:
शिशु खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रहता है।
शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
समाज में स्वास्थ्य स्तर बेहतर होता है।

प्रश्न 3. पोलियो क्या है और इससे बचाव के लिए क्या किया जाता है?
उत्तर: पोलियो: एक वायरस जनित रोग है, जिससे शिशु के अंगों में लकवा हो सकता है।
बचाव: जन्म से नियमित रूप से ओपीवी ड्रॉप्स पिलाना।

प्रश्न 4. माता-पिता शिशु को रोगों से बचाने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर: माता-पिता शिशु को रोगों से बचाने के लिए निम्न कार्य कर सकते हैं
शिशु को समय पर सभी टीके लगवाना।
संतुलित आहार और स्तनपान कराना।
घर और वातावरण स्वच्छ रखना।
डॉक्टर की सलाह से ही इलाज कराना।
समय-समय पर विटामिन-A की खुराक दिलाना।

प्रश्न 5. शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय लिखिए।
उत्तर: शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय निम्नलिखित हैं।
स्तनपान कराना।
सभी आवश्यक टीके लगवाना।
संतुलित आहार देना।
नियमित चिकित्सकीय परीक्षण।
स्वच्छता का पालन।

The   End 

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