Page 392 - कक्षा 9 वीं रसायन विज्ञान नोट्स अध्याय परमाणु की संरचना
डाल्टन के अनुसार, पदार्थ का सूक्ष्मतम कण परमाणु होता है जिसे खंडित नहीं किया जा सकता | लेकिन उनके प्रयोगों द्वारा प्रमाणित हो चूका है कि परमाणु कई प्रकार के अतिसूक्ष्म कणों के संयोग से बने होते हैं , जिनके इलेक्ट्रॉन, प्रोट्रॉन, और न्यूट्रॉन प्रमुख है | इन तीनों कणों को परमाणु के मौलिक कण ( fundamental particles ) कहते हैं |
कैथोड किरणें और इलेक्ट्रॉन:- काँच की एक नली ( Descharge tube ) में किसी गैस को लेकर अत्यंत
कम दाब ( 0.01 mm Hg ) तथा उच्च विभवांतर ( 10, 000 V ) पर विधुत – धारा प्रवाहित करने पर विसर्ग नली के कैथोड से एक प्रकार की
किरणें निकलती है जो सीधी रेखा में गमन करते हुए सामने की दीवार पर पड़ती है | इन किरणों का नाम कैथोड किरण रखा गया है |
कैथोड किरणों के गुण:-
1. ये किरणें कैथोड से निकलकर
अतितीव्र वेग से सीधी रेखा में गमन करती है |
2. इनके मार्ग में अपारदर्शक
वस्तु के रखने पर वस्तु की छाया कैथोड के दूसरी तरफ बनती है | इससे प्रमाणित होती है की ये किरणें सीधी रेखाओं में चलती है
|
3. इन किरणों के मार्ग में हल्का
पाद – चक्र ( Paddle wheel ) रखने पर यह अपनी धुरी पर नाचने लगती है |
4. वैधुत या चुंबकीय क्षेत्र
के प्रभाव से ये किरणें विचलित होती है इनके विचलन की दिशा से ज्ञात होता है कि ये
ॠण आवेशित है |
विसर्ग नली में भिन्न – भिन्न गैसों तथा भिन्न –
भिन्न धातुओं के कैथोडो
का प्रयोग करने पर पता चलता है कि हर हालत में एक ही प्रकार के कण निकलते हैं | अत: ॠण आवेशित ये कण प्रत्येक तत्व के प्रत्येक परमाणु के मौलिक
अवयव ( Fundamental Constituents ) है | टॉमसन ( Thomson ) ने इन कणों के आवेश ( e ) और द्रव्यमान ( m ) का अनुपात ( e/m ) प्रयोगों द्वारा ज्ञात किया | इन्होंने विभिन्न
विसर्ग नालियों का उपयोग किया, विभिन्न धातुओं के इलेक्ट्रोडो
की काम में लाया तथा विसर्ग नलि मे विभिन्न गैसों का प्रयोग किया | हर हालत में e/m का मान ( 1.76 x 10^8 ) कूलॉम/ ग्राम ही पाया गया | इससे सिद्ध होता है कि ये कण सभी परमाणुओं के मौलिक अवयव है
| इन्ही कणों का नाम इलेक्ट्रॉन ( electron ) रखा गया |
इलेक्ट्रॉन की विशेषताएँ:-
आवेश:- इलेक्ट्रॉन ॠण आवेश से युक्त
कण है जो प्रत्येक तत्व के परमाणु में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहता है | इलेक्ट्रॉन के आवेश का मान ( 1.60 x 10^-19 ) कूलॉम ( C )
होता है |
द्रव्यमान –
e/m और e के मानों ( values )
से इलेक्ट्रॉन का
द्रव्यमान ( m ) ज्ञात किया जाता है |
टॉमसन – प्रयोग से, e/m = 1.76 x 10^8 C/g
मिलिकन – प्रयोग से, e = 1.60 x 10^-19 C
m = e/e/m = 1.60 x 10^-19 C / 1.76 x 10^8 C/g
= 9.11 x 10^-28 g
= 9.11 x 10^-31 kg
ऐनोड किरणें और प्रोटॉन:- यदि विसर्ग नली के कैथोड में बारीक़ छिद्र कर दिया जाए और निम्न
दाब ( 0.01 mm ) तथा अधिक विभवांतर ( 10, 000 V ) पर विधुत – धारा प्रवाहित की जाए तो कुछ विशेष प्रकार की किरणें ऐनोड किरण
( anode ray ) कहते हैं | चूँकि ये किरणें धन आवेश ये युक्त होती है, अत: इन्हें धन किरणें ( Positive rays ) भी कहते हैं |
ऐनोड या धन किरणों के गुण:-
1. ऐनोड किरणें सीधी रेखा में, परंतु कैथोड किरणों की विपरीत दिशा में गमन करती हे | इसके मार्ग में अपारदर्शक वस्तु के रखने पर वस्तु की छाया बनती
है |
2. ऐनोड किरणों के मार्ग में
हल्का पाद-चक्र ( Paddle-wheel ) रखने पर यह अपने धुरी पर नाचने
लगता है |
3. इन किरणों की प्रकृति विसर्ग
नली में प्रयुक्त गैस की प्रकृति पर निर्भर करती है | विभिन्न गैसों के लिए आवेश ( e ) और द्रव्यमान ( m ) का अनुपात भिन्न – भिन्न होता है | विसर्ग नली में हाइड्रोजन
गैस का प्रयोग करने पर इस अनुपात e/m का मान अधिकतम होता है | हाइड्रोजन से प्राप्त धन किरणें एक ही प्रकार के धनात्मक कणों
की बनी होती है | इन्ही कणों को प्रोटॉन ( Protons ) कहते हैं |
H → H+ ( प्रोटॉन )
प्रोटॉन के गुण
आवेश:- प्रोटॉन एक धन आवेश से युक्त कण है | इसका आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर, किंतु विपरीत चिन्ह वाला होता है | इसके आवेश का परिमाप 1.602 x 10^-19 C होता है | इस आवेश को इकाई धन आवेश
+ 1 कहते हैं |
द्रव्यमान:- प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन से लगभग
1838 गुणा भारी होता है | प्रोटॉन पर द्रव्यमान H परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है | इसका सापेक्ष द्रव्यमान = 1.005757 = 1 amu होता है | इसका निरपेक्ष द्रव्यमान
= 1.67 x 10^-24 g होता है |
टॉमसन का परमाणु मॉडल ( Thomson Model of the Atom ):- जे जे टॉमसन ( Sir J
J Thomson ) ने 1883 में सर्वप्रथम
परमाणु का एक मॉडल प्रस्तुत किया जो एक तरबूज की तरह था | इसके अनुसार परमाणु में धन आवेश तरबूज के खानेवाले लाल भाग की
तरह बिखरा है जबकि इलेक्ट्रॉन धनावेशित गोले में तरबूज बीज के भांति बिखरें हैं|
सर जे जे टॉमसन के अनुसार,
1. परमाणु एक धन आवेशित गोलकार पिंड होता है | जिनमें इलेक्ट्रॉन धॅसे रहते हैं |
2. ॠणात्मक और धनात्मक आवेश परिमाण में समान होते हैं | इसलिए परमाणु वैधुतीय रूप से उदासीन होते हैं |
नोट:- जे जे टॉमसन के परमाणु सिद्धांत से परमाणु के उदासीन होने का व्याख्या हो जाती है । परंतु दूसरे वैज्ञानिक द्वारा किए गए प्रयोग को इस स्वरूप के द्वारा नहीं समझा जा सकता है । अतः इसका परित्याग कर दिया गया है ।
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल ( Rutherford model of the Atom ):- इलेक्ट्रॉन परमाणु के भीतर किस प्रकार से व्यवस्थित है यह जानने के लिए रदरफोर्ड ने 1911 में एक प्रयोग किया। इस प्रयोग के अंतर्गत रेडियोसक्रिय पदार्थ रेडियम द्वारा तीव्र गति से निकले α – कोणों का 0.0004mmमोटी सोने के पत्तर पर प्रहार कराया गया | इसको रदरफोर्ड का प्रकीर्णन प्रयोग कहा जाता है तथा इससे प्राप्त परिणामों को रदेरफोर्ड का नाभिकिए सिद्धांत कहा जाता है ।
इस प्रयोग से रदरफोर्ड को निम्नलिखित सूचनाएँ मिली:-
1. अधिकांश α- कण अपने मार्ग से बिना विचलित हुए स्वर्ण पतर को पार करके सीधे
निकल जाते हैं |
2. कुछ α – कण अपने मार्ग से थोड़ा विचलित हो जाते हैं |
3. बहुत ही कम α – कण ( 1,00,000 में से एक कण ) टकराकर अपने मार्ग पर पुन: वापस
आ जाते हैं।
इस प्रयोग से रदरफोर्ड ने निम्नांकित निष्कर्ष निकाले:-
1. परमाणु से अधिकतर स्थान रिक्त
है | जिसके कारण अधिकतर α- कण उसमें से सीधे निकल जाते हैं।
2. धन आवेशित α- कणों का सभी दिशाओं में विचलित
होना यह दर्शाता है की परमाणु के मध्य स्थान पर कोई समान आवेश ( धन आवेश ) उपस्थित
है ।
3. चूँकि स्वर्ण – पत्तर से टकराकर वापस लौटनेवाले
α- कणों की संख्या बहुत कम होती है, अत: परमाणु के अंदर उपस्थित धन आवेशित वस्तु का आयतन अत्यंत
ही कम होता है |
रदरफोर्ड के परमाणु का नाभिकीय मॉडल के अनुसार /रदरफोर्ड के परमाणु का नाभिकीय सिद्धांत:-
1. परमाणु का संपूर्ण द्रव्यमान
उसके नाभिक में होता है |
2. परमाणु के अंदर अधिकांश स्थान
रिक्त ( empty ) होते हैं |
3. परमाणु में ॠण आवेशित
इलेक्ट्रॉनों और धन आवेशित प्रोटॉनों की संख्याएँ समान होने के कारण परमाणु विधुत:
उदासीन होता है |
4. नाभिक का आयतन परमाणु के आयतन
की तुलना में काफी कम होता है |
5. इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों
ओर वृतीय पथों पर चक्कर लगाते हैं | इन वृतीय पथों को कक्षाएँ
( ordit ) कहते हैं |
रदरफोर्ड मॉडल के दोष:-
1. रदरफोर्ड के अनुसार, इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाया करते हैं, यह सही नहीं लगता, क्योंकि इस प्रकार का परमाणु
कभी स्थायी नहीं हो सकता |
2. रदरफोर्ड मॉडल की कक्षाओं
में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या निश्चित नहीं की गई थी |
न्यूट्रॉन का अविष्कार:- रदरफोर्ड ने यह देखा कि हाइड्रोजन को छोड़कर अन्य सभी तत्वों के परमाणु का द्रव्यमान परमाणु में उपस्थित प्रोटॉनों के कुल द्रव्यमान से कम-से-कम दो गुना होता है | इससे रदरफोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाला कि परमाणु में अवश्य ही कोई उदासीन ( आवेशहीन ) कण विद्यमान होना चाहिए जिसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर हो |
1932 में सर जेस चैडविक ( Sir Jemes Chadwick )बेरिलयम धातु पर α – कणों से आघात कराकर इन उदासीन कणों का पता लगाया इन कणों की वैधुत उदासीनता के कारण इनका नाम न्यूट्रॉन ( Nertron ) रखा गया | इनका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है |
न्यूट्रॉन के गुण:-
न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं रहता है, अर्थात् यह एक उदासीन कण है |
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर
होता है | न्यूट्रॉन , प्रोटॉन के साथ परमाणु के केंद्र-स्थान नाभिक ( Nucleus ) में उपस्थित रहता है |
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान
1.67 x 10^-24 g या 1.008 amu ज्ञात किया गया है |
बोर का परमाणु मॉडल ( Bohr model of th Atom ):- नील्स बोर ने 1913 में परमाणु की संरचना के संबंध में संशोधित
सिद्धांत प्रस्तुत किया जिसे बोर का परमाणु मॉडल कहा जाता है |
इसके अनुसार,
1. परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर कुछ निश्चित ऊर्जा
वाले वृताकार कक्षाओं में घूमते हैं |
2. जब इलेक्ट्रॉनों किसी निश्चित कक्षा में रहकर नाभिक के चारों
ओर चक्कर लगाते है तो उसकी ऊर्जा का ह्रास नहीं होता है |
3. इन कक्षाओं को ऊर्जा स्तर या ऊर्जा शेल कहते हैं |
4. इलेक्ट्रॉन एक कक्षा से दूसरें कक्षा पर कूद सकता है | जब कोई इलेक्ट्रॉन आंतरिक कक्षा से बाहरी कक्षा में कूदता है
तो ऊर्जा का अवशोषण होता है, किंतु जब इलेक्ट्रॉन बाहरी
कक्षा से आंतरिक कक्षा में कूदता है तो ऊर्जा का उत्सर्जन होता है |
कक्षा[orbit]:- किसी परमाणु के नाभीक के चारों ओर इलेक्ट्रान जिस पथ से घूमते रहते हैं उसे कक्षा कहते हैं।
किसी परमाणु में एक या एक से अधिक कक्षा होते हैं जिन्हें अंग्रेजी के अक्षर K , L , M , N , O , P , Q , या पूर्ण संख्या 1,2,3,4,5,6,7 से निरूपित किया जाता है ।
किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतर संख्या को सूत्र 2n^2 से प्राप्त किया जाता है जहाँ n कक्षा की संख्या है |
अत: प्रथम ( K ) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2 x 1^2 = 2,
द्वितीय ( L ) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2 x 2^2 = 8,
तृतीय ( M ) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2 x 3^2 = 18
उपकक्षा[orbital]:- किसी परमाणु के कक्षा छोटे - छोटे ऊर्जा स्तरों में बँटे होते हैं , जिनको उपकक्षा कहते हैं ।
उपकक्षा को अंग्रेजी के अक्षर s , p , d तथा f से निरूपित किया जाता है ।
किसी उपकक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतर संख्या को सूत्र 4n - 2 से प्राप्त किया जाता है जहाँ n उपकक्षा की संख्या है |
अत: s उपकक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 4 x 1 - 2 = 2,
p उपकक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 4 x 2 - 2 = 6,
d उपकक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 4 x 3 - 2 = 10
f उपकक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 4 x 4 - 2 = 14
विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रॉनों का वितरण:- विभिन्न कक्षाओं में चक्कर
लगनेवाले इलेक्ट्रॉनों का वितरण बोर-व्यूरी योजना के अनुसार होता है |
इसके अनुसार,
1. किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतर संख्या को सूत्र
2n^2 से प्राप्त किया जाता है
जहाँ n कक्षा की संख्या है |
अत: प्रथम ( K ) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की
अधिकतम संख्या = 2 x 1^2 = 2,
द्वितीय ( L ) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की
अधिकतम संख्या = 2 x 2^2 = 8,
तृतीय ( M ) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की
अधिकतम संख्या = 2 x 3^2 = 18
2. सबसे बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 8 हो
सकती है |
3. जब बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों
की अधिकतम संख्या पूर्ण हो जाती है जब इलेक्ट्रॉन नए कक्षा में प्रवेश करने लगते हैं
|
परमाणु संख्या ( Atomic Number ):- परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या को परमाणु संख्या ( Atomic number ) कहते हैं | परमाणु संख्या को Z द्वारा सूचित किया जाता है |
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ( Electronic Configuration ):- किसी परमाणु की विभिन्न अक्षाओं में इलेक्ट्रॉन की व्यवस्था को उस परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ( Electronic Configuration ) कहते हैं |
कुछ तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
कार्बन [ 6 ] |
2, 4 |
ऑक्सीजन [ 8 ] |
2, 6 |
सोडियम [ 11 ] |
2, 8, 1 |
ऐलुमिनियम [ 13 ] |
2, 8, 3 |
फॉस्फोरस [ 15 ] |
2, 8, 5 |
क्लोरीन [ 17 ] |
2, 8, 7 |
नाइट्रोजन [ 7 ] |
2, 5 |
फ्लोरीन [ 9 ] |
2, 7 |
मैग्नीशियम [ 12
] |
2, 8, 2 |
सिलिकन [ 14 ] |
2, 8, 4 |
द्रव्यमान संख्या ( Mass Number ):- परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या और न्यूटॉनों की संख्या के योगफल को उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या ( Mass number ) कहते हैं, अर्थात्
द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
= परमाणु संख्या ( Z ) + न्यूट्रॉनों की संख्या ( n )
अर्थात् A = Z + n
या n = A – Z
न्यूट्रॉन की संख्या = द्रव्यमान संख्या ( A ) – परमाणु संख्या ( Z )
समस्थानिक ( Isotops ):- एक ही तत्व के परमाणु जिसकी
परमाणु संख्याएँ समान, किंतु द्रव्यमान भिन्न – भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं |
हाइड्रोजन के समस्थानिक
नोट :- ऊपर कोने पर परमाणु द्रव्यमान तथा नीचे कोने पर परमाणु संख्या दर्शाया जाता है ।
समस्थानिक के गुण:-
1. इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है |
2. किसी तत्व के समस्थानिकों के भौतिक गुण भिन्न – भिन्न होते हैं |
समस्थानिकों
के कुछ उपयोग ( Uses of
isotopes ):-
संस्थानिकों के कुछ
उपयोग इम्नालिखित है |
1. यूरिनियम के एक समस्थानिक
( U – 235 ) का उपयोग परमाणु भट्टी
( Atomic Reactor) में ईंधन के रूप में होता
है |
2. कैंसर के उपचार में कोबाल्ट के समस्थानिक ( Co – 60 ) का उपयोग होता है |
3. घेंघा रोग के इलाज में आयोडीन के समस्थानिकों का उपयोग होता
है |
समभारिक ( Isobars ):- वैसे तत्वों को समभारिक कहा
जाता है जिनका परमाणु द्रव्यमान समान होता है,
किंतु परमाणु संख्याएँ
भिन्न-भिन्न होती है |
जैसे:- आर्गन , पोटैशियम और कैल्शियम के समभारिक
आर्गन , पोटैशियम और कैल्शियम के समभारिक
समान्यूट्रॉनिक ( Isotones ):- विभिन्न तत्वों के वे परमाणु
जिनमे न्यूट्रॉन की संख्या समान होती है किंतु परमाणु द्रव्यमान तथा परमाणु संख्या
दोनों ही भिन्न होते हैं, समान्यूट्रॉनिक कहलाते हैं
|
जैसे:-
∵ A = p + n
⇒ n = 51 - 23
⇒ n = 28
वनैडीअम के न्यूट्रानों की संख्या
∵ A = p + n
⇒ n = 52 - 24
⇒ n = 28
संयोजकता ( Valency ):- किसी तत्व का परमाणु जितने
इलेक्ट्रॉनों का त्याग, ग्रहण या साझा करता है, उतना ही उस तत्व की संयोजकता होती है |
वैसे तत्व जिनकी बाहरी कक्षा में 1 से लेकर 4 इलेक्ट्रॉन होते
हैं ⇒ संयोजकता = बाहरी
कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
वैसे तत्व जिनके बाहरी कक्षा में5, 6 या 7 इलेक्ट्रॉन होते हैं ⇒ संयोजकता = 8 – बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या |
इलेक्ट्रॉन की खोज
1. कैथोड किरणें: जे. जे. टॉमसन
ने कैथोड किरणों की मदद से परमाणु में इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के बारे में बताया|
इलेक्ट्रॉन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
इलेक्ट्रॉन पर आवेश = -1.6 ×10^-19 C (C = कूलाम)
इलेक्ट्रॉन पर द्रव्यमान = 9.1 × 10^-31 kg
प्रोटॉन की खोज:-
केनाल किरणें: ई. गोल्डस्टीन ने उनके द्वारा
प्रसिद्ध एनोड किरणों या केनाल किरणों के प्रयोग
द्वारा परमाणु में धनावेशित कण यानि प्रोटॉन की खोज की|
प्रोटॉन के बारे में
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
प्रोटॉन पर आवेश = +1.6
×10^-19 C
प्रोटॉन का द्रव्यमान = 1.673 × 10^-24 kg
न्यूट्रॉन की खोज:-
1932 में जे. चैडविक ने एक और अवपरमाणुक कण को खोज निकाला, जो अनावेशित और द्रव्यमान में प्रोटॉन के बराबर था| अंतत इसका नाम न्यूट्रॉन पड़ा|
परमाणु का द्रव्यमान नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग के द्वारा प्रकट किया जाता है|
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